Who was Shak and Hun ? शक और हूण कौन थे ?

Who was Shak and Hun ? शक और हूण कौन थे ? भारत में शकऔर हूण कहाँ पाए जाते हैं ? शक और हूण वंश के संस्थापक एवं प्रमुख शासक 

शक, हूण और पारसी प्रजाति का आगमन Who was Shak and Hun ?

भारत में शक, हूण और पारसी प्रजाति के लोग विदेशों से भारत आये तथा इन्होंने भारतीय समाज पर व्यापक प्रभाव डाला।

यहाँ इनका उल्लेख संक्षेप में किया जा रहा है-


शक कौन थे ? who was Shak ?

ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी में यूनानी राज्य का पतन हो जाने के बाद शक भारत आये।

शकों के सम्बन्ध में संस्कृत और बौद्ध साहित्य, चीनी साहित्य एवं यूनानियों के विवरण से भी विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।

शकों की जानकारी के प्रमुख स्रोत उनकी मुद्राएँ हैं। इन मुद्राओं पर शक शासकों की तिथियाँ भी अंकित हैं जिससे यह जानकारी भी मिलती है कि शकों को सीथियन भी कहा जाता था।
चीनी ग्रन्थों सी-की और सीन-हान-शू से शकों के भारत आगमन के सम्बन्ध में विशेष जानकारी प्राप्त होती है।

इन ग्रन्थों से यह जानकारी प्राप्त होती है कि मध्य एशिया का सारदरिया नामक स्थान शकों का मूल निवास स्थान था।

ग्रन्थों में इस बात का भी उल्लेख है कि मंगोलिया के समीप रहने वाले यू-ची जाति पर 176-173 ई० पूर्व एक अन्य जाति हुंग-नू ने आक्रमण किया तथा उन्हें भागने के लिए बाध्य किया।

पराजित हो जाने के पश्चात् यू-ची जाति नवीन प्रदेश की खोज में पश्चिम की ओर गयी और उसने सारदरिया पर रह रहे शकों पर आक्रमण किया तथा उन्हें पराजित करके उन्हें अपना मूल स्थान छोड़ने हेतु बाध्य किया।

शक अन्य स्थान की खोज में दक्षिण की ओर गये तथा उन्होंने वैक्ट्रिया व पार्थिया राज्यों पर आक्रमण किया।

वे वैक्ट्रिया पर विजय प्राप्त करने में सफल हो गये परन्तु पार्थिया के राजा मिथ्रिडेट्स ने उनका सामना करके उन्हें पूर्व की ओर जाने हेतु बाध्य कर दिया।

कुछ समय बाद वे बलूचिस्तान होकर निचले सिन्धु प्रदेश पहुंचे और वहीं रहने लगे। इस प्रदेश को”शक द्वीप” की संज्ञा दी गयी।

यह भारतीय भूमि पर शकों का पहला आक्रमण था और इसी के आधार पर उन्होंने अपने राजकुलों की नींव डाली।

शक प्रजाति के लोग पूर्वी और पश्चिम मालवा, गुजरात, कच्छ, मारवाड़, पश्चिम विन्ध्य प्रदेश, सिन्धु नदी के डेल्टा प्रदेश तथा उत्तरी कोंकण में भी पाये जाते हैं।

हूण कौन थे ? Who was hun ?

ईसा से दो शताब्दी पहले हूण चीन की सीमा के निकट रहते थे। पाँचवीं शताब्दी तक ये अत्यन्त शक्तिशाली हो गये।

विभिन्न कारणों से उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा तथा पश्चिम की ओर प्रस्थान करना पड़ा।

हूणों की एक शाखा यूरोप गयी तथा वहाँ उनके नेता येटीला ने बहुत अधिक लूट-खसोट की।

इसका वर्णन रोम के इतिहास में भी विस्तार से किया गया है।

उनकी एक शाखा भारत आयी तथा ओक्सस घाटी को पार करके वे ईरान और भारत की ओर बढ़े।

उन्होंने ईरान में भारी तबाही मचाई।

हिन्दकुश पर्वत को पार करके उन्होंने कान्धार पर अपना अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् उन्होंने आगे बढ़ना प्रारम्भ किया . परन्तु 460 ई० में स्कन्दगुप्त ने उन्हें पराजित करके उनकी प्रगति को रोक दिया।
परन्तु इसके बाद भी उनकी शक्ति समाप्त नहीं हुई।

उन्होंने बल्ख को अपनी राजधानी बनाया तथा मध्य एशिया और ईरान पर शासन प्रारम्भ किया।

पाँचवीं शताब्दी के अन्त में अथवा छठी शताब्दी के प्रारम्भ में हूण सरदार तोरमान ने पंजाब से आगे बढ़कर पश्चिम भारत के काफी भू-भाग पर अधिकार कर लिया।

ऐरन (मध्य प्रदेश) का सागर जिला भी उनके साम्राज्य में सम्मिलित था। हूण सरदार तोरमान गान्धार के शाही वंश से सम्बन्धित था।


उसके सिक्कों से यह जानकारी प्राप्त होती है कि उसके साम्राज्य में पंजाब, कश्मीर, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ भाग सम्मिलित थे।

हूणों ने दक्षिण भारत के कुछ भाग और लंका पर भी विजय प्राप्त की।

यही कारण है कि इस प्रजाति के अधिकतर लोग कश्मीर, दक्षिण भारत, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पाये जाते हैं।

मिहिर कुल व तोरमाण गुर्जर या हूण कुल  के  सबसे प्रतापी शासक माने जाते हैं 

Shak and Hun Question and Answer शक और हूण के प्रश्नोत्तरी 

पहला शक शासक कौन था ?

उत्तर -मोगा 

शक  वंश का संस्थापक किसे कहा जाता है ?

उत्तर-

शक वंश का प्रसिद्ध शासक कौन है ?

उत्तर -रुद्रदमन

रुद्रदमन के बारे में जानकारी किस अभिलेख में मिलती है ?

उत्तर -जूनागढ़ अभिलेख 

शको का आगमन भारत में कब हुआ ?

उत्तर -ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी में 

हूण वंश का संस्थापक कौन था ?

उत्तर -तोरमाण

हूणों का पहला आक्रमण भारत में किस सन में हुआ ?

उत्तर -458 ईसवी में 

हूण मूलतः चीन के किस जाति के थे ?

उत्तर -मंगोल 

हूणों को किसने पराजित किया ?

उत्तर -स्कन्द गुप्त