Varnmala Swar aur Vyanjan in Hindi वर्णमाला-स्वर और व्यंजन

हिंदी व्याकरण के अंतर्गत वर्णमाला-स्वर और व्यंजन Hindi Varnmala Swar aur Vyanjan के भाषायी सिद्धांत ,नियम ,व उनके भेद या प्रकारो के बारे में जानकारी

  वर्णमाला-स्वर और व्यंजन ( Hindi Varnmala Swar aur Vyanjan )

भाषा, व्याकरण ,लिपि,परिभाषा

भाषा-मनुष्य जब अपने भावों और विचारों को दुसरों के सामने प्रकट करता है या वह दूसरों के भावों और विचारों को समझता है तो इसके लिए वह भाषा का सहारा लेता है।

परिभाषा-अपने मन के भावों और विचारों को बोलकर, लिखकर, पढ़कर या सुनकर प्रकट करने के साधन को भाषा कहते हैं।

लिपि-मौखिक भाषा में ध्वनियों का प्रयोग होता है जबकि लिखित भाषा में वर्णों या अक्षरों का प्रयोग होता है। लिखित भाषा में प्रत्येक ध्वनि के लिए कोई न कोई चिन्ह होता है जिसे वर्ण या अक्षर कहते हैं। इन्हीं की सहायता से शब्द और वाक्य लिखे जाते हैं। लिखने की इसी विधि को लिपि कहते हैं। हिन्दी भाषा (देवनागरी) लिपि में लिखी जाती है।

व्याकरण–प्रत्येक भाषा को शुद्ध रूप से बोलने और लिखने में व्याकरण सहायक होता है। पहले भाषा बनती है फिर व्याकरण । व्याकरण ही भाषा का शुद्ध प्रयोग सिखाता है।

परिभाषा -व्याकरण वह साधन है जिसके द्वारा हम किसी भी भाषा को शुद्ध रूप से बोलना और लिखना सीखते हैं। अनेक प्रकार के वाक्यों से मिलकर भाषा बनती है। वाक्य रचना हेतु अनेक सार्थक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इनका निर्माण वर्गों की सहायता से होता है। इसलिए व्याकरण के तीन अंग होते हैं

1. वर्ण विचार, 2. शब्द विचार, 3. वाक्य विचार ।

वर्ण विचार

भाषा को लिखने के लिए चिन्हों या संकेतों की आवश्यकता होती है। इन चिन्हों या संकेतों को वर्ण कहा जाता है।

परिभाषा-भाषा की उस छोटी से छोटी ध्वनि को वर्ण कहते हैं जिसके खण्ड न हो सकें। वर्गों के समूह को वर्णमाला (Varnmala) कहते हैं। उच्चारण के आधार पर इन वर्गों के दो भेद हैं स्वर और व्यंजन।

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 हिंदी स्वर और व्यंजन  (Hindi Swar and Vyanjan)

Swar in Hindi

1.स्वर-स्वर वे वर्ण या अक्षर हैं जिनका उच्चारण बिना किसी अन्य अक्षर की सहायता से किया जाता है। हिन्दी वर्णमाला में 11 स्वर हैं।

अ,  आ,  इ,  ई,    उ,   ऊ,  ए,  ऐ, ओ, औ, ऋ

शब्दों को लिखने के लिए स्वरों का दो प्रकार से प्रयोग होता है-

1. अपने मूल रूप में।

2. मात्रा के रूप में।

व्यंजन ( Vyanjan in Hindi )

2. व्यंजन (Vyanjan)—व्यंजन वे वर्ण या अक्षर हैं जिनका उच्चारण करने के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है।

जैसे-क् + अ = क

त् + इ = ति

(Vyajan ke Bhed )हिन्दी वर्णमाला में 33 व्यंजन हैं। इन्हें तीन भागों में बाँटा गया है

(i) स्पर्श-स्पर्श व्यंजन उन्हें कहा जाता है जिनके उच्चारण में जीभ मुख के किसी न किसी भाग का स्पर्श करती है। इनकी संख्या 25 है। इनके पाँच वर्ग हैं जो पहले वर्ण के नाम पर हैं

क वर्ग  क् ख् ग् घ् ङ्
च वर्ग  च् छ् ज् झ्  ञ्
 ट वर्ग    ट्  ठ्  ड् ढ् ण् 
 त वर्ग    त्  थ्
न् प वर्ग   प् फ् ब् भ् म 
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(ii) अंतस्थ—इनके उच्चारण में जीभ का स्पर्श मुख के किसी विशेष भाग से नहीं होता इस कारण इन्हें अन्तस्थ व्यंजन कहते हैं। इसकी संख्या चार हैं य् र् ल् व्।

(iii) उष्म व्यंजन—इनके उच्चारण में श्वास वायु तीव्र गति से मुख से रगड़ खाती हुई बाहर निकलती है, जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है, इसलिए ऊष्म व्यंजन कहलाते हैं । ये संख्या में चार हैं श् प् स् है।

2.संयुक्त व्यंजन

—जब कोई व्यञ्जन बिना स्वर के दूसरे व्यंजन से मिलकर एक नया वर्ण बनाता है तो उसे संयुक्त व्यंजन कहते हैं। जैसे-

क् + प् = क्ष

त + र् =त्र

ज + = ज्ञ

3. अनुस्वार

-अनुस्वार का उच्चारण नाक से होता है। इसका चिन्ह (-) है। अं’ अनुस्वार है

विशेष—ङ्,ञ, ण् , म् ,न् , ये व्यंजन अनुनासिक हैं। इन्हें पंचमाक्षर भी कहते हैं । ये भी अनुस्वार का काम करते हैं। परन्तु अनुस्वार ध्वनि के लिए इनका प्रयोग अपने वर्ग के वर्ण के पूर्व किया जाता है।

जैसे— ङ्क प्रयोग क ख ग घ वर्गों के पूर्व ही हो सकता है।

जैसे- क से पूर्व  – ङ्क -अङ्कक

ख से पूर्व  – पङ्ख् -पङ्ख

ग से पूर्व  -पङ्ग – पङ्गु

घ से पूर्व -लङ्घ- लङ् घ

इसी प्रकार

ज से पूर्व ञ                  व्यंजन

ड से पूर्व ण्                      खण्ड

द से पूर्व न्                      चन्द्र

भ से पूर्व म                  गम्भीर

4. अनुनासिक (चन्द्र बिन्दु)-जिन शब्दों पर चन्द्रबिन्दु प्रयुक्त होता है, उन्हें अनुनासिक ध्वनियाँ कहते हैं। अनुनासिक ध्वनि का उच्चारण नाक से होता है इसमें उच्चारण करते समय अधिक जोर नहीं लगाया जाता। जैसे- हँस, चाँद, आँचल आदि।

5. विसर्ग. – विसर्ग का चिन्ह (:) है। इसका उच्चारण अह् के समान होता है । जैस–प्रायः, प्रमुखतः।

6. क्ष् , त्र् , ज्ञ, संयुक्त व्यंजन हैं। क् + प् = क्ष् , त् + र् = त्र और ज् + ञ् = ज्ञ है।

हिन्दी में ड़ और ढ़ इन दो ध्वनियों का प्रयोग भी होता है। ये दोनों कोई स्वतन्त्र ध्वनियाँ नहीं हैं बल्कि ड् और ढ् के नीचे बिन्दु लगाकर बनाई जाती हैं। इनके उच्चारण के अन्तर को प्रयोग करके समझिये

पडना—पड़ना पढना- पढ़ना

स्वर और व्यंजन का सम्बन्ध

I. स्वर रहित व्यंजन को बोलचाल की भाषा में हलन्त वर्ण या आधा वर्ण कहते हैं। स्वर रहित व्यंजन को लिखने के लिए हलन्त (् ) जिन्ह का उपयोग करते हैं । जैसे—क्, प्, च्।

2. ‘र्’ में उ और ऊ मात्राओं का प्रयोग इस प्रकार होता है।

जैसे-र्’ + उ = रु, र् + ऊ = रू।

3. जब हलन्त वाले र को वर्णों के बीच में रखना हो तो (ृ ) चिन्ह से दर्शाते हैं ।

जैसे-धर्म = धर्म, वर्ण = वर्ण।

4. यदि र से पूर्व कोई हलन्त व्यंजन हो. तो र का रूप ( ^ ) हो जाता है ।

जैसे- आम् + र = आम्र, शीघ्+ र = शीघ, द् + र = द्र।

5. हलन्त व् + पूर्ण व्यंजन =

जैसे-व् + द = ब्द (शब्द) ब् + ज = ब्ज     -(कब्ज)

6. हलन्त द् + पूर्ण व जैसे द् + व = द्व        -(द्वार)

7. हलन्त ल् + क = ल्क (शुल्क)

8. हलन्त व्यंजन पूर्ण ल जैस- क् + ल = क्ल (शुक्ल)


अभ्यास के लिए प्रश्न

1. भाषा किसे कहते हैं ?

2. हिन्दी भाषा किस लिपि में लिखी जाती है?

3. व्याकरण किसे कहते हैं ?

4. स्वर और व्यंजन मं क्या अंतर है?

5. संयुक्त व्यंजन के उदाहरण दीजिये।

6,क वर्ग और त वर्ग के व्यंजन लिखिये।

7. निम्नलिखित शब्द किन-किन वर्गों से मिलकर बना है

1. सूर्य, 2. आत्मज, 3. सरिता, 4. उत्सव, 5. विद्यार्थी।

8. गलत को काटिये

(1) स्वर = म, न, इ, च, उ, ल, प, अ

व्यं जन = आ, क, ह, ए, अं, त, झ, प।

अनुस्वार = अं, न, ध, अ:, म, ल, स, ध।

विसर्ग = य, र, स, अः, क्ष, ह, ऋ ,च।

(2 )मिश्र वर्ण = ह, त्र, ण, क्ष, छ, ज्ञ,ञ, झ। (2) मंद = मडद, मण्द, मन्द, मम्द, मञ्द ।

कंटक = कङ्टक, कण्टक, कन्टक, कम्टक, कञ्टक।

घंटा = घटा, घण्टा, घन्टा, घम्टा, घटा।

बंब = बड्ब, बण्ब, बन्ब, बम्ब, बञ्ब।

फीस = शुल्क, शुक्ल।

9. निम्नलिखित शब्दों के अनुस्वार को पंचमाक्षरों में बदलकर लिखिए

गंगा, कंगाल, झंडा, संत, अवलंब।

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