Structure Of Earth in Hindi पृथ्वी की आन्तरिक संरचना

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना सम्बन्धी अभिमत Structure of earth in Hindi (Concept) निम्नलिखित हैं


(1) भूकम्पी तरंगों, भू-भौतिकीय एवं घनत्व के वितरण सम्बन्धी तथ्यों के आधार पर विलियमसन एवं एडम्स (Williamson and Adams) ने पृथ्वी की आंतरिक रचना का विवरण दिया है उनके अनुसार पृथ्वी चार भिन्न प्रकार के कवचों से बनी है 

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना Structure Of Earth in Hindi

पृथ्वी की परतें 


(i) ऊपरी सतहीय आवरण जो मुख्यतः कम घनत्व वाले सिलिकेट खनिज एवं सिलिका से बना हुआ है। इस भाग के पदार्थों का घनत्व 2.8 से 3.2 ग्राम प्रति घन से.मी. है तथा इसकी मोटाई प्रायः 100 कि.मी. है।

इसके नीचे अधिक धनत्व वाले सिलिकेट खनिजों (पेरिडोटाइट) से बना हुआ भाग है एवं घनत्व 3.3 से 4.35 ग्राम/घ. से.मी. है। इस भाग की मोटाई प्राय: 1600 कि. मी. है।


(iii) इसके नीचे क्रमशः निकैल तथा लोह-धातु का सम्मिश्रण बढ़ता जाता है एवं यह पैलासाइट के सदृश होता है। घनत्व 6 से 8 ग्राम/घन से.मी. एवं मोटाई प्रायः 1400 कि. मी. होती है।


(iv) क्रोड का भाग शुद्ध निकैल एवं लोह-धातु का है जो 3400 कि.मी. की मोटाई का है एवं घनत्व प्रायः 10 ग्राम/घ. से.मी. है।

Structure Of Earth in Hindi

पृथ्वी की परतें सम्बन्धी अवधारणाएं 

बी. एम. गोल्डस्मिथ (V.M. Goldschmidt) ने ताम्र धातु की निष्कर्षण विधि के आधार पर भू-गर्भ के चार खोलों का विवरण दिया है।
(i) ऊपरी आवरण-घनत्व 2.8 ग्रा./घ. से.मी. तथा मोटाई 120 कि.मी.।।
(ii) इक्लोगाइट खोल—अधिक घनत्व के सिलिकेट खनिजों से निर्मित, घनत्व 3.6 से 4.0 ग्रा/घ. से.मी. एवं मोटाई 1,000 कि.मी. ।
(iii) सल्फाइक तथा ऑक्साइड खोल-धातु के सल्फाइड एवं ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जाती है, घनत्व 5.6 ग्रा./घ. से.मी. तथा मोटाई 1700 कि.मी.।
(iv) शुद्ध निकैल तथा लोह-धातु का क्रोड-घनत्व = 8 ग्रा./घ.से.मी. तथा मोटाई 3400 कि.मी.।

वाण्डर ग्राशेट गुटेनबर्ग (Vander Gracht, Gutenberg etc.) आदि के मतानुसार भू-गर्भ का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है
(i) बाह्य सिलिकेट स्तर–इस स्तर में O, Si, AI, K, Na तथा अतिअल्प Fe एवं Mg के यौगिक होते हैं। घनत्व 2.75 से 3.1 ग्रा. प्रति घ. से.मी. तथा मोटाई 60 कि.मी. ।

इस स्तर को तीन उपविभागों में विभाजित किया जाता है


(क) बाह्य उपस्तर: ग्रेनाइट शैलों से निर्मित, घनत्व 2.75 ग्रा./घन से.मी. तथा मोटाई 10 कि.मी.।
(ख) मध्य उपस्तर : बेसाल्टी तथा एम्फिबोलाइटी शैलों से निर्मित, घनत्व 2.9 ग्रा. |घन से.मी. तथा मोटाई 20 कि.मी.।
(ग) आन्तरिक उपस्तर : डूनाइट तथा पेरिडोटाइट शैलों से निर्मित; घनत्व 3.1ग्राम/धन से.मी. तथा मोटाई 30 कि.मी.।

आन्तरिक सिलिकेट स्तर—इस स्तर में O, Si, Mg, Fe एवं Ca के यौगिक मुख्य रूप से रहते हैं एवं K तथा Na का अंश अतिअल्प रहता है। घनत्व 3.10 से 4.75 ग्रा./घ.से.मी. तथा मोटाई प्रायः 1100 किमी. होती है।


(iii) पेलासाइट स्तर–इस स्तर में (), Si, Mg, Fe के यौगिक एवं Ni तथा Fe धातु का सम्मिश्रण पाया जाता है। घनत्व 4.75 से 5.0 ग्राम/घन से.मी. तथा मोटाई प्रायः 1800 कि.मी. होती है।


(iv) क्रोड या निफै—यह शुद्ध निकैल तथा लोह-धातु का बना होता है। इसका घनत्व 11.0 ग्रा./घ/से.मी. तथा मोटाई प्राय: 3600 कि.मी. होती है।

Internal Structure Of Earth in Hindi

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना


प्रचलित मतानुसार पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को तीन भागों में बाँटा गया है, जो निम्नलिखित हैं


भू-पर्पटी (Crust)

यह पृथ्वी का ऊपरी आवरण है। सतह से मोहरोविसिक असंगति तक के इस भाग को भू-पर्पटी कहते हैं। यह भाग पूर्णत: ठोस शैलों से बना हुआ है। भू-पर्पटी का ऊपरी भाग अधिसिलिक शैलों से तथा निचला भाग क्रमश: अल्पसिलिक शलो से निर्मित है। भू-पर्पटी की अधिकतम मोटाई प्राय: 60 कि.मी. है तथा इसकी माध्य मोटाई प्राय: 33 किमी. मानी जाती है।
भू-पर्पटी के मुख्यत: दो भाग हैं


(क) सिएल (Sial si + al)–बाह्य या ऊपरी भाग जो कम घनत्व वाले सिलिकेट खनिजों से बने मुख्यत: ग्रेनाइट या अधिसिलिक शैलों से बने हुए हैं। इसका घनत्व 2.65 ग्राम/सेमी है।


(ख) सिमै (Sima : si + mg)-सिएल के नीचे का स्तर अधिक घनत्व वाले सिलिकेट खनिजों से निर्मित होता है। इस भाग को सिमै कहते हैं। इसका घनत्व 2.76 ग्राम/घन सेमी. होता है। इस स्तर की मोटाई प्राय: 30 किमी. होती है परन्तु पर्वत श्रेणियों के नीचे इसकी
मोटाई केवल 10 से 15 किमी. ही पायी जाती है। महासमुद्रों की तली में इसकी मोटाई अतिअल्प होती है। इसके नीचे का स्तर आन्तरिक सिमै कहलाता है। यह मुख्यत: अतिअल्प सिलिक शैलों (पेरिडोटाइट) से बना होता है

पृथ्वी की परते  Layer of Earth


(2) प्रावार (Mantle)

भूपर्पटी के नीचे से गुटेनवर्ग असंगति तक के विस्तृत भाग को प्रावार कहते हैं। प्रावार प्राय: 33 किमी. से 2900 किमी. की गहराई तक फैला हुआ है। गहराई के साथ प्रवार का घनत्व बढ़ता जाता है। संभवत: अधिकतम घनत्व 10 ग्राम/घन सेमी. है। यह भाग निश्चित रूप से ठोस अवस्था में है क्योंकि इसमें 5 तरंगे गमन करती हैं। पर्वतन की क्रिया एवं समस्थितिक सन्तुलन भी इसी भाग में होता है।


क्रोड (The Core)

गुटेनवर्ग असंतति से पृथ्वी के केन्द्र तक का भाग क्रोड कहलाता है। यह मुख्यतः निकिल और लौह-धातु के सम्मिश्रण से बना हुआ है। ताप और दाब की अधिकता के कारण इस भाग की अवस्था के विषय में सही अनुमान लगाना सम्भव नहीं है। S तरंगे क्रोड में गमन नहीं करती हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह भाग द्रव रूप में है लेकिन केन्द्रीय भाग में P तरंगों की गति में आकस्मिक वृद्धि होती है। अतः आन्तरिक भाग ठोस अवस्था में हो सकता है। क्रोड का औसत घनत्व 19.7 ग्राम/घन सेमी. है। इसे निफै (Nife : Ni + Fe) भी कहते हैं।

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