सिंधु सभ्यता GK भारतीय इतिहास
भारतीय इतिहास को तीन भागों में बॉटा गया है
– 1) प्रागैतिहासिक काल – जिस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण उद्धृत नहीं किया उसे’प्रागैतिहासिक काल’ कहते है।
पूर्व पाषाण युग – जीविका का मुख्य आधार शिकार था । इस युग का विस्तार मुख्य रूप से हथौड़ा, पल्लावरम लोहंदा क्षेत्र में पाया गया है तथा मनुष्य द्वारा बनायी गयी पहली कुल्हाड़ी इस युग में पायी गयी है । इसके अतिरिक्त हाथी के अवशेष, पत्थरों से बने औजार प्राप्त हुए हैं । आग का आविष्कार इस युग की देन है ।
मध्य पाषाण युग – इस युग का विस्तार नागौर, आदमगढ़, महदहा, सरायनाहरराय में मुख्य रूप से पाया गया है।
नवपाषाण युग – इस युग में मेहरगढ़ में पहली बार कृषि कार्य व कृषि बस्ती, कोल्डिहवा में धान की खेती का सबसे प्राचीन प्रमाण प्राप्त हुआ हैं इसके अतिरिक्त बुर्जहुम नामक स्थान पर मनुष्य व कुत्ते को एक साथ दफनाने के प्रमाण मिले हैं । इस युग में मुख्य रूप से कृषि और पशुपालन की शुरूआत के साथ-साथ पहिए का आविष्कार हुआ।
( 2) आद्य ऐतिहासिक काल – उस काल को कहते हैं, जिसक काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद उपलब्ध
लेख पढ़े नहीं जा सके हैं । सिन्धु सभ्यता इसी काल की हैं।
सिंधु सभ्यता ( ताम्रपाषाणिक पृष्ठभूमि कांस्य युगीन सभ्यता)
नदियाँ
माडा (चिनाव नदी) (जम्मू कश्मीर)
सुतकांगेडोर (दास्क ) (ब्लूचिस्तान)
आलमगीरपुर (हींडन) (उत्तरप्रदेश)
दायमाबाद (प्रवरा) (महाराष्ट्र)
• रेडियोकार्बन पद्धति के अनुसार सिंधु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2300 ई.पू. से 1750 ई0 मानी गयी है ।
(मार्शल के अनुसार 3250 -2750 )।
सिंधु सभ्यता की खोज सर जॉन मार्शल की नेतृत्व में रायबहादुर दयाराम साहनी 1921 में की ।
नगरीय सभ्यता थी । सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बड़े नगर की
संज्ञा दी गयी है, ये हैं – मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलाबीरा, राखीगढ़ी एवं कालीबंगन ।
.इस सिंधु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।
सिंधु सभ्यता के प्रमुख बंदरगाह – धौलावीरा, लोथल, सुतकागेंडोर एवं सुतकोतदा थे ।
मोहनजोदड़ो की सामाजिक स्थिति (1922)–
हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को जुड़वा राजधानी कहा जाता है ।
• इस युग में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी। सिंधु सभ्यता मातृसत्तात्मक थी ।
इस सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे ।
स्वास्तिक चिन्ह संभवतः हड़प्पा सभ्यता की देन है । इस चिन्ह से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता है। किंतु इस सभ्यता के नगरों में किसी भी मंदिर के अवषेश नहीं मिले हैं ।
सिंधु सभ्यता में मुख्य फसल थी – गेहूँ और जौ ।
. कपास का सर्वप्रथम उत्पादन सिंध घाटी के लोगों ने किया । इसलिए इसे सिंडन सभ्यता कहा गया
सिंधु सभ्यता में तौल की इकाई संभवतः 16 (1,2, 4, 8, 16, 32. 320) के अनुपात में थी।
मोहनजोदड़ो की प्रमुख प्राप्तियाँ –
यंहां मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार सिंधु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है ।यहाँ से एक शील पर पशुपतिनाथ की मूर्ति मिली है।
मनके बनाने के कारखाने लोथल एवं चन्हूदड़ों में मिले हैं। सुरकोतदा, कालीबंगन एवं लोथल से घोड़े के
अस्थिपंजर मिले हैं।
सिंधु सभ्यता में व्यापार –
. सिंधु घाटी के लोगों का व्यापार अफगानिस्तान व ईरान तक था उन्होंने अफगानिस्तान में अपना एक
व्यापारिक मण्डल शोतगुई स्थापित किया था । इस युग में ज्यादातर वस्तु विनिमय होता था
• सिंधु सभ्यता में आयात निम्न स्थानों से होता था –
i. टिन, रांगा, चांदी- अफगानिस्तान
ii. तांबा – खेतड़ी, गणेश्वर (राजस्थान)
iii. सोना- कोलार (कर्नाटक)
iv. चांदी – खुरासान, उईरान/अफगानिस्तान
सिंधु सभ्यता की लिपि –
• सिंधु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है । यह लिपी दाई से बाईं ओर लिखी जाती थी । जब अभिलेख एक
से अधिक पंक्तियों का होता था तो पहली पंक्ति दाई से बाईं और दूसरी बाई से दाई ओर लिखी जाती थी
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थान व खोजकर्ता
स्थान | खोजकर्ता | प्राप्ति स्थान |
---|---|---|
हड़प्पा (1921) | दयाराम साहनी | माण्टेगोमरी पंजाब प्रांत (पाकिस्तान) |
मोहनजोदड़ो (1922) | राखलदास बेनर्जी | लरकाना जिला सिंधु प्रांत (पाकिस्तान) |
सुतकोगेडोर | आर.एन. स्टाइन | पाकिस्तान |
चन्हूदड़ो (1931) | एम.जी. मजूमदार | पाकिस्तान |
कोटडीजी | फजल अहमद | पाकिस्तान |
श्रृंगपुर | रंगनाथ राव, माधव स्वरूप वत्स | गुजरात |
स्तकातदा | जगपति जोशी | गुजरात |
लोथल (1954) | एस.आर. राव | गुजरात |
धौलावीरा (1990) | रवीन्द्र नाथ मिश्र | गुजरात |
रोपड़ | यज्ञदत्त शर्मा | पंजाब |
बनवाली (1974) | रविन्द्र नाथ मिश्र | हरियाणा |
राखीगढ़ी – | हरियाणा | |
आलमगिरपुर | यज्ञ दत्त शर्मा | उत्तर प्रदेश |
कालीबंगा | अम्लानंद घोष | राजस्थान |
अन्य –
सिंधु घाटी सभ्यता मेसोपोटामिया, यूनानी, मिश्र, चीन, सुमेरियन आदि सभ्यता के समकालीन था ।
प्रमुख पक्षी बतख था, प्रमुख पेड़ पीपल था । चांदी का प्रथम उपयोग सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा
किया गया
भारतीय इतिहास – सिंधु सभ्यता GK
पतन
सिंधु सभ्यता के पतन के कई विद्वानों द्वारा अनेक कारण बताए गए हैं जैसे – चाइल्ड और व्हीलर द्वारा आर्यो का आक्रमण बताया गया । जॉन मार्शल और एस.आर.राव ने बाढ़ को कारण बताया ता आर.एल. स्टाइन व ए.एन. घोष ने जलवायु परिवर्तन को सिंधु सभ्यता के पतन का कारण बताया है फेयर सर्विस- पारिस्थितिकी असंतुलन।, डेल्स/रेईक्स भूकंप