सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय 2021 जयंती Sardar vallabbh bhai Patel Biography in Hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी , जीवन परिचय 2021 जयंती | Sardar vallabbh bhai Patel Biography in Hindi
गाँधीजी ने स्वर्गीय वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय Sardar vallabbh bhai Patel Biography in Hindi

वह सचमुच सरदार थे। किसी एक दल के नहीं, सारे देश के। उनमें सरदारों के समान ही दृढ़ता थी, पौरूष था, साहस था। वह जब चलते थे, तो अपनी मंजिल पर पहुँच कर ही रूकते थे। बीच में रूकना वह नहीं जानते थे।
अपनी दूरदर्शिता एवं कुशाग्रबुद्धि, दृढ़ संकल्प शक्ति एवं देश को अंग्रेजी शासन की गुलामी के चंगुल से मुक्त करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम के अजेय योद्धा के रूप
में जाने जाने वाले देश की अखण्डता एवं एकीकरण के जनक सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म 31 अक्टूबर 1875 ई. को झवेर भाई तथा लाड़ाबाई के घर गुजरात
के कैरा स्थित नडियाड में हुआ था। सरदार वल्लभ भाई पटेल के पूर्वजों ने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मुस्तैदी से भाग लिया था। वे लेबा पट्टीदार पटेल ने अपने पैतृक गांव करमसद में आरम्भिक स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने पाँचवीं कक्षा तक अंग्रेजी में शिक्षा पाई। तदनन्तर 22 वर्ष की अवस्था में इन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की और नडियाड में यह जिला वकील बन गये।

Sardar vallabbh bhai Patel जी का विवाह

इससे पूर्व सन् 1893 में 18 वर्ष की उम्र में इनका विवाह झवेरबाई से हुआ जो आज्ञापालक और विनीत जीवन संगिनी थी किन्तु इनके दाम्पत्य जीवन की अवधि 1908 तक ही रही।

पटेल जी की शिक्षा

सरदार पटेल की शिक्षा नडियाड और बड़ौदा में हुई। वह विद्यार्थी जीवन में ही बड़े निर्भीक तथा स्वाभिमानी थे। उनके विद्यार्थी जीवन की कई ऐसी घटनाएँ मिलती
है जिनसे उनकी निर्भीकता और स्वाभिमानी स्वभाव पर प्रकाश पड़ता है।

तत्पश्चात् सरदार पटेल ने इंग्लैण्ड जाकर बैरिस्टरी की परीक्षा पास की।उन्होंने परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्हें पचास पौंड का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ
था। वैरिस्टरी की परीक्षा पास करके, सरदार पटेल अहमदाबाद में बैरिस्टरी करने लगे। वह ठाट-बाट से रहते थे। अंग्रेजी ढंग के कपड़े पहनते थे और क्लबों में जाया
करते थे। सन् 1919 में जबकि उनकी लोकप्रियता शिखर पर थी एक फौजदारी वकील के रूप में किन्तु स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी को तो अपनी देश सेवा के पथ पर सुदृढ़ कदमों से चलना था, अतः वकालत छोड़कर सरदार पटेल सार्वजनिक जीवन में आ गये।

Sardar vallabbh bhai Patel का स्वतंत्रता आंदोलन मे योगदान

सन् 1917 में वह गांधीजी के सम्पर्क में आये। गुजरात सभा के गांधीजी अध्यक्ष थे और वल्लभ भाई पटेल मंत्री थे, एक दूसरे के निकट आये। इसके बाद सरदार पटेल
गांधी के निष्ठावान अनुयायी बन गये। सरदार पटेल ने गुजरात सभा के मंत्री के रूप में प्लेग विरोधी अभियान चलाया और प्लेग पीड़ितों की सेवा की। तत्पश्चात् बलात्
मजदूर बनाये लोगों की समस्या को हाथ में लेते हुए उनमें संघर्ष की शक्ति को जगाया और गांधीजी की सहायता से उन्होंने कोरा जिले में किसानों ‘कर न दो’ आन्दोलन चलाया और इस अभियान में सफल रहे। इससे सत्याग्रह की तकनीक की सशक्तता सिद्ध हो गई। कालान्तर में सत्याग्रह की इस तकनीक से भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करने का मार्ग मिल गया।

बारदोली सत्याग्रह

सन् 1927 में बारडोली में सत्याग्रह संग्राम आरम्भ हुआ। उस संग्राम में मूल सरदार की ही प्रेरणा थी। सरदार की सूझ-बूझ और कर्मठता से ही उसमें विजय प्राप्त हुई। बारडोली की विजय ने वल्लभ भाई को सरदार बना दिया।

पटेल जी का राजनीतिक घटनाक्रम

सरदार पटेल ने सन् 1930 और 1942 के आआंदोलन में भाग लिया। वह सन् 1930 में ‘नमक कानून’ को तोड़कर जेल गए थे। 1942 के ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’
में भी उन्हें गिरफ्तार करके यरवदा की जेल में रखा गया था। गांधीजी भी उसी जेल में थे। उनकी सेवाओं को देखकर गांधीजी ने कहा था-‘अभी तक तो मैं ये ही जानता था कि वल्लभ भाई एक वीर सरदार है, किन्तु यरवदा जेल में उनकी सेवाओं को देखकर मैंने यह भी समझा कि उनमें एक अच्छी माता के भी गुण है।
सरदार पटेल ने व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी भाग लिया था। इसमें भी वह गिरफ्तार हुए थे और उन्हें सजा दी गई थी। सरदार पटेल ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया था।
सरदार पटेल को सबसे लम्बी सजा सन् 1942 के ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में दी गई थी। 1945 में जब कांग्रेस और अंग्रेज सरकार में समझौता हुआ, तो सबके साथ उन्हें भी जेल से छोड़ा गया था। सन् 1946 में अन्तरिम सरकार की स्थापना हुई।
अन्तरिम सरकार में सरदार पटेल को गृह और सूचना विभाग सौंपे गए थे।
सन् 1947 की 15 अगस्त को भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्र भारत की सरकार में स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू को प्रथम प्रधानमंत्री और सरदार पटेल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया। सरदार पटेल ने उप प्रधानमंत्री के रूप में देशी रियासतों को भारत में मिलाकर एक महान् और प्रशंसनीय कार्य किया। उनके इस कार्य को
सदा याद किया जाएगा।

सरदार पटेल जी का देहावसान (Death )

इस महापुरूष का देहान्त दिल का दौरा पड़ने से 16 दिसम्बर सन् 1950 को हुआ। पं. नेहरू के शब्दों में उनका जीवन एक गौरव गाथा है, जिसे इतिहास अंकित
करेगा, अनेक पृष्ठों में इतिहास समाहित करेगा, उन्हें नवीन भारत के निर्माता और सुदृढ़कर्ता के रूप में। परन्तु इसमें से अनेक उन्हें स्मरण करेंगे स्वतंत्रता आन्दोलन के हमारे सैनिकों के महान् नेता के रूप में एक ऐसे मित्र एवं विश्वस्त सहचर के रूप में जिन पर हम सदैव निर्भर रह सकते थे। एक शक्ति के महान् स्तम्भ के रूप में जो विपत्ति के समय कांपते हृदयों को स्थिर करने की क्षमता रखते थे। इस लौहपुरूष को मरणोपरान्त सन् 1991 में भारत-रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया।

राजनेता के पद पर प्रमुख योगदान Sardar vallabbh bhai Patel contribution

यह निर्विवाद सत्य है कि सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण की निर्णायक भूमिका निभाई और दूरदर्शिता तथा व्यावहारिक कौशल का परिचय देते हुए 562 देशी
रियासतों को भारतीय संघ में विलय कर अपनी अद्भुत बुद्धि कौशल का करिश्मा कर दिखलाया। उस समय हैदराबाद का निजाम सत्ता के मद में बौखला उठा था जिसे सरदार पटेल ने अपनी अद्भुत दृढ़ता से झुकने पर मजबूर किया। उसे केवल राज प्रमुख के रूप में संवैधानिक बने रहने दिया। जूनागढ़ का निजाम तो पहले से ही अपनी रियासत छोड़ भाग चुका था। लन्दन टाइम्स के अनुसार रियासतों के विलय करने सम्बन्धी उनकी उपलब्धि के कारण उन्होंने इतिहास में अपना स्थान अर्जित कर लिया है जो बिस्मार्क के समकक्ष अथवा उससे भी उच्च हो सकता है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रेरक प्रसंग

वल्लभ भाई पटेल फौजदारी के एक मामले में अदालत में पैरवी कर रहे थे। मामला संगीन था और उनकी जरा-सी असावधानी अभियुक्त को फाँसी की सज़ा दिला सकती थी। वे अपने तर्क गम्भीरतापूर्वक दे रहे थे।
तभी किसी ने उनके नाम का एक तार लाकर उन्हें दिया। उन्होंने दो मिनट रुककर तार खोला,
पढ़ा और मोड़कर जेब में रख लिया। वे उसी तन्मयता से बहस करते रहे। अदालत का समय समाप्त हुआ।
साथी वकील ने जब उनसे तार के सम्बन्ध में पूछा तो वे बोले, “मेरी पत्नी का देहान्त हो गया है। उसी की सूचना है।”इतनी बड़ी घटना घट गई और तुम बहस करते रहे?” साथी वकील ने पूछा ।
वल्लभभाई का उत्तर था, “और क्या करता? वह तो चली गई, क्या अभियुक्त को भी चला जाने देता।”

वल्लभ भाई विदेश जाकर वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे। अपनी कमाई से धन बचाकर वे बाहर जाने की तैयारी करने लगे। जिस जहाज की कम्पनी से उन्होंने जाने के लिए पत्र-व्यवहार किया उसका उत्तर वी. बी. पटेल (विट्ठल भाई) के नाम से आया। दोनों भाई अंग्रेजी में वी.बी. पटेल लिखा करते थे।
इसलिए विदेश दोनों में से कोई भी एक जा सकता था। बड़े भाई की इच्छा देखकर वल्लभभाई ने सहर्ष उनको विलायत भेजना तो स्वीकार किया ही, वे उनकी पढाई का पूरा खर्च भी भेजते रहे।
विट्ठल भाई बैरिस्टर बनकर जब भारत आ गये तब पाँच वर्ष बाद वल्लभ भाई विलायत जा सके।

सरदार वल्लभ भाई पटेल स्लोगन, नारे, सुविचार,अनमोल वचन Quotes

जाति, संप्रदाय का भेद जल्द ही खत्म होने चाहिए
इनको जल्दी ही भूलना होगा
ये एकता व अखंडता की सबसे बड़ी बाधाएं है

सभी नागरिकों को स्मरण होना चाहिए की वह एक भारतीय है उसे सभी अधिकारों के साथ कर्तव्य का बोध होना चाहिए
छात्रों को प्रेरित करने एवं अनुकरण करने के अनेक गुण सरदार पटेल में थे जिन्हें जयन्ती मनाते समय बताकर ग्रहण करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए। भारत
में देशी रियासतों की स्थिति, स्वरूप और एकीकरण के कार्य की जानकारी नक्शों आदि से दी जानी चाहिए।

सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रश्न उत्तर sardar vallabbh bhai Patel Question Answer

1.सरदार पटेल की मूर्ति कहां स्थित है?
उत्तर-साधु बजट गुजरात
2.सरदार पटेल जी का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर-नडियाड गुजरात
3.सरदार पटेल का विवाह किसके साथ हुआ था?
उत्तर-झवेर बाई
4.सरदार पटेल की मृत्यु कब हुई?
उत्तर-16 दिसम्बर 1950 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ
5.स्टेचू ऑफ यूनिटी किस कंपनी द्वारा बनाया गया?
उत्तर-लार्सन एंड टुब्रो
6.भारत देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री कौन थे ?
उत्तर-सरदार वल्लभ भाई पटेल
7.किसने सरदार की उपाधि वल्लभ भाई पटेल को संबोधित किया।
उत्तर- महात्मा गांधी
8.सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत रत्न से कब सम्मानित किया गया?
उत्तर- मरणोपरांत 1991
9.स्टेचू ऑफ यूनिटी लंबाई व उँचाई कितनी है?
उत्तर-182 व 208 मीटर

10.राष्ट्रीय एकता दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर -31 अक्टूबर

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