आइये हिंदी व्याकरण के अंतर्गत Sangya-Noun-संज्ञा और उसके भेद, प्रकार एवं उदाहरण को सरल भाषा में समझने का प्रयास करते है उम्मीद है आपको अच्छी लगेगी
संज्ञा की किसे कहते हैं ?
संज्ञा(Sangya -Noun) और उसके भेद, प्रकार एवं उदाहरण
संज्ञा परिभाषा ( Sangya ki Paribhasha)
संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी विशेष वस्तु अथवा व्यक्ति के नाम का बोध हो.
‘वस्तु’ केवल पदार्थ और वाणी का वाचक नहीं है. अपितु उनके धर्मों का भी सूचक है. अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं. इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद प्रस्तुत हैं
संज्ञा (Sangya-Noun )के भेद /प्रकार (Sangya ke Bhed)
Sangya-Noun संज्ञा के तीन भेद हैं-(1) व्यक्तिवाचक, (2) जातिवाचक, (3) भाववाचक.
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)
जिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे-श्याम, गंगा, दिल्ली, जापान, रामचरितमानस, सिपाही, विद्रोह, होली, दीपावली आदि.
व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित रूपों में पाई जाती है
(1) व्यक्तियों के नाम-श्याम, हरि, सुरेश.
(2) दिशाओं के नाम-पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण.
(3) देशों के नाम-भारत, जापान, अमरीका, पाकिस्तान,बर्मा.
(4) राष्ट्रीय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमरीकी.
(5) समुद्रों के नाम–काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर.
(6) नदियों के नाम– गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी.
(7) पर्वतों के नाम–हिमालय, विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम.
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(8) नगरों, चौकों और सड़कों के नाम-वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक मार्ग.
(9) पुस्तकों तथा समाचार-पत्रों के नाम-रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, आर्यावर्त.
(10) ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम-पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही विद्रोह, अक्टूबर क्रान्ति.
(11) दिनों, महीनों के नाम– मई, जुलाई, अक्टूबर, सोमवार, मंगलवार.
(12) त्योहारों, उत्सवों के नाम– होली, दिपावली, रक्षाबंधन, विजयादशमी, गणतंत्र दिवस.
यह वर्गीकरण सर्वथा मान्य होना चाहिए, क्योंकि इसमें यद्यपि नवीन कुछ नहीं है तथापि प्रचलित सामग्री को एक वैज्ञानिक आधार देकर प्रस्तुत किया गया है
2. जातिवाचक संज्ञा
-जिस संज्ञा से किसी जाति के सम्पूर्ण पदार्थों व उनके समूहों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे-घर, पर्वत, मनुष्य, नदी, मोर, सभा आदि.
जातिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित स्थितियों में होती हैं
(1) सम्बन्धियों, व्यवसायों, पदों और कार्यों के नाम बहन, भाई, मन्त्री, जुलाहा, हलवाई, प्रोफेसर, अध्यापक, माली, चोर.
(2) पशु-पक्षियों के नाम– घोड़ा, गाय, कौआ, तोता, मैना.
(3) वस्तुओं के नाम-मकान, कुर्सी, घड़ी, पुस्तक, कलम.
(4) प्राकृतिक तत्वों के नाम-तूफान, बिजली, वर्षा, भूकम्प, ज्वालामुखी.
3. भाववाचक संज्ञा
जिस संज्ञा से व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म, दशा अथवा व्यापार का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं,
जैसे-लम्बाई, जवानी, चतुराई, मिठास, नम्रता, नारीत्व, सुन्दरता, समझ इत्यादि पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता. व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है. धर्म, गुण, अर्थ और भाव प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं. इस संज्ञा का अनुभव होता है तथा इसका बहुवचन प्रायः नहीं होता है.
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण-भाववाचक संज्ञा बनाने का प्राचीन नियम यह भी था कि विशेषण के अन्त में ई, पन, हट, वा, पर, स प्रत्यय जोड़ दिया जाए तथा संस्कृत की धातु के अन्त में ता, त्व जोड़ दिया जाए, परन्तु अब इस प्रक्रिया को अत्यन्त व्यापक तथा सर्वथा वैज्ञानिक रूप प्रदान कर दिया गया है.
उदाहरण देखिए (sangya-Noun)
(क) जातिवाचक संज्ञा( Sangya-Noun )से
शब्द | भाववाचक संज्ञा | जोड़ा गया प्रत्यय |
---|---|---|
बच्चा | बचपन | पन |
बूढ़ा | बुढ़ापा | पा |
इन्सान | इन्सानियत | इयत |
डाकू | डकैती | ऐती |
शैतान | शैतानी | ई |
दास | दासता/दासत्व | ता, त्व |
मानव | मानवता | ता |
दानव | दानवता | ता |
नारी | नारीत्व | त्व |
बंधु | बंधुत्व | त्व |
लड़का | लड़कपन | पन |
जवान | जवानी | ई |
पंडित | पंडिताई | आई |
बाप | बपौती | औती |
मनुष्य | मनुष्यता/मनुष्यत्व | ता, त्व |
मित्र | मित्रता | ता, |
पशु | पशुता/पशुत्व | ता, त्व |
स्वामी | स्वामित्व मातृत्व | त्व |
(ख) सर्वनाम से
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा | जोड़ा गया प्रत्यय |
---|---|---|
अपना | अपनापन | पन |
पराया | परायापन | पन |
निज | निजत्व | त्व |
अहं | अहंकार | कार |
मम | ममता/ममत्व | ता,त्व |
स्व | स्वत्व | त्व |
(ग) विशेषण से
विशेषण शब्द | भाववाचक संज्ञा | जोड़ा गया प्रत्यय |
---|---|---|
बड़ा | बड़प्पन | पन |
छोटा | छुटपन | पन |
ठण्डा | ठण्डक | अक |
मूर्ख | मूर्खता | ता |
नीच | नीचता | ता, |
सरल | सरलता | ता, |
अच्छा | अच्छाई | ई |
बुरा | बुराई | ई |
मोटा | मुटाई/मोटापा | ई, पा |
हरा | हरियाली | आली |
चिकना | चिकनाई/चिकनाहट | आई, आहट |
लाल | लाली | ई |
कठिन | कठिनाई/कठिनता | आई,ता |
सुन्दर | सुन्दरता/सौन्दर्य | ता, र्य |
कुशल | कुशलता | ता, |
एक | एकता/ऐक्य | ता, य |
गम्भीर | गम्भीरता/गाम्भार्य | ता, र्य |
रोचक | रोचकता | ता |
(घ) क्रिया से
क्रिया | भाववाचक संज्ञा | जोड़ा गया प्रत्यय |
---|---|---|
लिखना | लिखाई | ई |
मिलना | मेल/मिलाई | ई |
दौड़ना | दौड़ | अ |
खेलना | खेल | अ |
भूलना | भूल | अ |
झगड़ना | झगड़ा | आ |
थकना | थकान/थकावट | आन, आवट |
घबराना | घबराहट | आहट |
धोना | धुलाई | आई |
बरसना | बारिश, बरसात | इश, आत |
चलना | चाल | अ |
हारना | हार | अ |
जीतना | जीत | अ |
पढ़ना | पढ़ाई | ई |
संज्ञाओं (sangya-Noun) के विकार/रूपान्तर
संज्ञा(Sangya) विकारी शब्द है, अर्थात संज्ञा शब्दों में प्रसार अनुसार परिवर्तन होता है. उदाहरण देखिए
(1) लिंग-लड़का (खाता है). लड़की (खाती है).
(2) वचन-लड़का (खाता है): लड़के (खाते हैं).
(3) कारक -लडका खाना खाता है-लड़के ने खाना खाया, लड़की खाना खाती है लड़कियों ने खाना खाया.
स्पष्ट है की उदाहरण में रूपान्तर का कारण कर्ता कारक चिन्ह से है, जिससे एकवचन होते हुए भी लडके (बहुवचन जैसा) रूप हो गया. इसी तरह लड़के को बुलाओ, लड़के को खिलाओ, भगाओ आदि में लड़का एकवचन होते भी बहुवचन रूप (लड़के) में प्रयुक्त हुआ है.
लिंग
शब्द के जिस रूप से यह पता चलता है कि वर्णित वस्तु पुरुष जाति की है या स्त्री जाति की, उसे लिंग कहते हैं।
हिन्दी में दो लिंग है-पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, जबकि संस्कृत में नपुंशक लिंग के रूप में तीन लिंग हैं.
लिंग के निर्धारण के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है –
1. अकारांत शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं यथा-राम, क्रोध,
श्याम आदि.
2 वे भाववाचक संज्ञाएँ जिनके अन्त में त्व, व, र्य पा, पन
होता है पुल्लिंग होती हैं यथा- महत्त्व, लाघव, शौर्य, बुढ़ापा, बचपन आदि.
3. इकारांत शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं-नदी, टोपी, रोटी,
मोटी, पतली, छड़ी आदि.
4. आई, इया, आवट, आहट, ता, प्रत्ययों से बने शब्द
प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं यथा-भलाई, डिबिया, मिलावट,
घबराहट, सुन्दरता.
5. पुल्लिंग संज्ञा के साथ पुल्लिंग विशेषण, स्त्रीलिंग संज्ञा
के साथ स्त्रीलिंग विशेषण प्रयुक्त होता है यथा-अच्छा
लड़का, अच्छी लड़की.
6. हिन्दी में कर्ता के साथ ने विभक्ति होने पर क्रिया का लिंग, वचन कर्म के अनुसार होता है यथा राम ने रोटी खाई (स्त्रीलिंग), राम ने दूध पिया (पुल्लिग).
7. पुल्लिग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाने के लिए ई, इनी. इन, नी, आनी, आइन प्रत्ययों का प्रयोग होता है. यथा घोड़ा-घोड़ी, कमल-कमलिनी, धोबी-धोबिन, मोर-मोरनी, पंडित-पंडिताइन.
8. युग्म शब्दों का लिंग निर्धारण अन्तिम शब्द के आधार पर किया जाता है-धोती-कुर्ता (पुल्लिंग), नर-नारी (स्त्रीलिंग).
9. कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हुए भी लिंग की दृष्टि से भिन्न होते हैं. यथा-विद्वान् (पुल्लिंग) विदुषी (स्त्रीलिंग), महान (पुल्लिंग), महती (स्त्रीलिंग) वीर (पुल्लिंग) वीरांगना (स्त्रीलिंग), सम्राट् (पुल्लिंग) सम्राज्ञी (स्त्रीलिंग).
लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ और उनका निराकरण
अशुद्ध वाक्य -1. पूजनीय माताजी को प्रणाम
शुद्ध वाक्य -पूजनीया माताजी को प्रणाम.
अशुद्ध वाक्य 2. पुत्री पराया धन होता है.
शुद्ध वाक्य-पुत्री पराया धन होती है.
अशुद्ध वाक्य-3. ताजा हवा अच्छी है.
शुद्ध वाक्य-ताजी हवा अच्छी है.
अशुद्ध वाक्य-4. यह नई प्रकार की मशीन है.
शुद्ध वाक्य-यह नए प्रकार की मशीन है.
अशुद्ध वाक्य-5. दही खट्टी है.
शुद्ध वाक्य-दही खट्टा है.
अशुद्ध वाक्य-6. मैं आपकी सहायतार्थ आया
शुद्ध वाक्य-मैं आपके सहायतार्थ आया
अशुद्ध वाक्य-7. महादेवीजी विद्वान् कवि हैं.
शुद्ध वाक्य-महादेवीजी विदुषी कवयित्री
अशुद्ध वाक्य-8. यह प्रणाली बदलना चाहिए.
शुद्ध वाक्य– यह प्रणाली बदलनी चाहिए.
अशुद्ध वाक्य-9. तुम्हें मेरी बातें सीखना है.
शुद्ध वाक्य-तुम्हें मेरी बातें सीखनी हैं.
अशुद्ध वाक्य-10. उसने सच गवाही दी थी.
शुद्ध वाक्य– उसने सच्ची गवाही दी थी.
वचन
विकारी शब्दों के जिस रूप से उनकी संख्या अर्थात् एक या अनेक का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं. कुछ तथ्य
1. हिन्दी में केवल दो वचन हैं-एकवचन और बहुवचन.
एकवचन शब्दों को बहुवचन बनाने के लिए ए, एँ, याँ, ओं प्रत्यय जोड़े जाते हैं. यथा-लड़का-लड़के, बातबातें, नदी-नदियाँ, साधु-साधुओं.
2. कुछ शब्द नित्य बहुवचन हैं यथा-प्राण, दर्शन, आँसू, हाथ, हस्ताक्षर, बाल. इसका प्रयोग सदैव बहुवचन में होता है. जैसे
उन्होंने हस्ताक्षर कर दिये
मैंने बाल कटा लिये।
देवी के दर्शन कर लिये
उसके प्राण निकल गये
सभी काले छपे शब्द बहुवचन में प्रयुक्त हैं.।
3. कुछ शब्द नित्य एकवचन हैं यथा-जनता, सामान, माल, सामग्री, सोना, आदि. यथा
माल लुट गया
सोना महँगा हो गया
जनता जाग गई
सामग्री समाप्त हो गई
सभी काले छपे शब्द एकवचन में प्रयुक्त हैं.
4. एक का बहुवचन अनेक है अतः अनेक शब्द गलत है.
वहाँ अनेकों लोग थे. (अशुद्ध)
वहाँ अनेक लोग थे. (शुद्ध)
5. आदरसूचक शब्दों के साथ सदैव बहुवचन का प्रयोग होता है. यथा-पिताजी आ रहे हैं.
तुलसी श्रेष्ठ कवि थे.
वचन सम्बन्धी अशुद्धियों का निराकरण
अशुद्ध वाक्य 1. उसने हस्ताक्षर कर दिया.
शुद्ध वाक्य-उसने हस्ताक्षर कर दिये.
अशुद्ध वाक्य 2. ऑसू से रुमाल भीग गया.
शुद्ध वाक्य-आँसुओं से रुमाल भीग गया.
अशुद्ध वाक्य 3. पिताजी जा रहा है.
शुद्ध वाक्य-पिताजी जा रहे हैं.
अशुद्ध वाक्य 4. उसका पिता बीमार है.
शुद्ध वाक्य-उसके पिता बीमार हैं.
अशुद्ध वाक्य 5. वृक्षों पर मोर बैठा है.
शुद्ध वाक्य-वृक्ष पर मोर बैठा है.
अशुद्ध वाक्य 6. बुराइयाँ करना ठीक नहीं है.
शुद्ध वाक्य– बुराई करना ठीक नहीं है.
अशुद्ध वाक्य 7. वहाँ कोई खड़े हैं.
शुद्ध वाक्य-वहाँ कोई खड़ा है.
अशुद्ध वाक्य 8. ये आकाशवाणी है.
शुद्ध वाक्य-यह आकाशवाणी है.
अशुद्ध वाक्य 9. हम आपकी कृपाओं को कैसे भूल सकते हैं ?
शुद्ध वाक्य-हम आपकी कृपा को कैसे कैसे भूल सकते हैं ?
अशुद्ध वाक्य 10. तुम सबों को जाना है.
शुद्ध वाक्य-तुम सबको जाना है.
What is Noun in Hindi संज्ञा Sangya Question
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