Primates in Hindi प्राइमेट से क्या अभिप्राय है ?

प्राइमेट से क्या अभिप्राय है ? Primates in Hindi. What are the main characteristics of primates in Hindi? Organic Evolution के बारे में सामान्य जानकारी हिंदी में जानेगें (primate se kya abhipray hai )

Primates in Hindi प्राइमेट्स in हिंदी

प्राइमेट से क्या अभिप्राय है : What is meaning by primate in Hindi ?


मानव की उत्पत्ति और विकास का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है। मनुष्य जीवन Organic Evolution के क्रम में सबसे बाद में आया। मनुष्य की उत्पत्ति के बारे में संसार में कोई निश्चित काल (समय) का ज्ञान नहीं था

जब तक कि गत शताब्दी में 1990 मैं यूजीन डूबाय नामक एक भूगर्भ वैज्ञानिक ने जावा में कुछ मानव अवशेष खोज निकाले, जो अपनी बनावट में उच्च स्तन्य प्रतीत हुए तथा उनके बनावट के लक्षणों के आधार पर डूबाय ने उन्हें सीधे चलने वाला वनमानुष (The irect Apes man) की संज्ञा दी।

अर्थात मानव एक उच्च स्तन्य(स्तनियों मे सबसे उच्चजीव) (प्राइमेट) कहलाते हैं ।

मानव के बीच लुप्त हुई कड़ी (Missing link between the Apes and the man)

इस खुदाई में जो मानव अवशेष प्राप्त हुए उनमें एक सिर की खोपड़ी का ऊपरी हिस्सा, जाँघ की तथा जबड़े की हड्डियाँ प्राप्त हुई थी।

इस मानव अवशेष के लक्षण एक ओर वनमानुषों से मेल खा रहे थे, तो दूसरी ओर उनमें मानव की बनावट की ओर उत्तरोत्तर विकास के लक्षण भी नजर आ रहे थे।

इसी दृष्टि ने वैज्ञानिकों ने इसे वनमानुष और मानव के बीच लुप्त हुई कड़ी (Missing link between the Apes and the man) माना।

जावा की यह खुदाई बाद में भी चलती रही और इसी क्रम में 1936 में एक-दूसरे प्राकृतिक इतिहास के वैज्ञानिक ने जावा में पुनः खोज आरम्म की

सिनेन्थ्रोपस इरेक्ट्ससिनेन्थ्रोपस पेकेनसिस

बाद में Davidsan Black नामक वैज्ञानिक ने उत्तरी चीन में कुछ मानव अवशेष खुदाई में पाए जिन्हें इस सिनेन्थ्रोपस इरेक्ट्स के बाद का मानव कहा गया है और जो क्रमिक विकास और बनावट में वनमानुष और आज के मानव के निकट दिखाई देता है।

इस खोज में जिसे अब तक की सभी भूगर्भीय खोजों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है, आदिमानव को उत्तरोत्तर विकास की दूसरी कड़ी माना है, इसीलिए इस मानव अवशेष को उन्होंने सिनेन्थ्रोपस पेकेनसिस की संज्ञा दी।


पूर्व में प्राप्त अन्य मानव अवशेषों की जब इन अवशेषों से तुलना की गई तो पता चला कि बनावट के कुछ उन लक्षणों को यह मानव छोड़ चुका है जो वनमानव के नजदीक प्रतीत होते थे।


मानव विज्ञानी ने इसीलिए इस आदिमानव को एक उच्च स्तन्य (Primates) कहा है।

आधुनिक अध्ययनों से भी सिद्ध हो चुका है कि मानव सभी उच्चस्तन्य (Primates) में सर्वाधिक उच्च या विकसित है। और मानव भी 4 कोष्ठीय हृदय वाला, समतापी रक्त,अपरायुक्त. उच्च स्तनधारी है और मानव तथा अन्य प्राइमेट्स के अनेक लक्षण समान हैं।

प्राइमेट के लक्षण : Characteristics of primates in Hindi


प्राणि वर्गीकरण में क्लास (वर्ग) मैमेलिया (स्तनधारियों) को 3 उपश्रेणियों में विभाजित किया गया है जिनमें से अंतिम यूथीरिया उपश्रेणी को पुनः 16 गण (आर्डर्स) में विभाजित किया गया है जिनमें सर्वाधिक विकसित गण (आर्डर) “प्राइमेट” हैं।


प्राइमेट शब्द लेटिन भाषा के शब्द प्राइमस (Primus) का रूपान्तरण है जिसका शाब्दिक अर्थ है, ‘सर्वोच्च कोटि का अर्थात् प्राइमेट्स विकास की अवस्था (मस्तिष्क विकास) में सर्वोच्च स्थान पर हैं।

इस गण (आर्डर) को यह नाम स्वीडिश जीव वैज्ञानिक केरोलस लीनियस ने दिया था।

Primates चार कोष्ठीय हृदय वाले, समतापी रक्त, अपरायुक्त, स्तनधारी हैं, जो अपने शिशुओं को स्तनपान कराते हैं।

प्राइमेट गण में विभिन्न आकार-प्रकार की 500 से अधिक जातियाँ पायी जाती हैं,

जिनमें गिलहरी जैसे छोटे प्राणियों से लेकर गोरिल्ला, चिंपांजी व मानव जैसे वृहदकाय प्राणि शामिल हैं।


प्राइमेट्स के मुख्य शारीरिक लक्षण निम्न हैं

(1) हाथ या पैर की अंगुलियों में, हाथ में या पैर में अथवा दोनों में परिग्राहिता पायी जाती है,


(2) अंगुलियाँ पाँच जिन पर चपटे नाखून,


(3) नेत्र कोश दीवार अस्थीय, त्रिविम दृष्टि, दृष्टि क्षमता कम या अधिक,


(4) सामान्यतया वक्ष पर दो स्तनों की उपस्थिति (निम्न प्राइमेट्स में अपवाद)


(5) मस्तिष्क में केल्केराइन फिशर एवं पश्चपालि उपस्थित,


(6) वृषण शरीर से बाहर वृषण कोष में एवं शिश्न शरीर से बाहर लटका हुआ।


(7) फीमर में तृतीय ट्रॉकेन्टर अनुपस्थित,


(8) नियोकॉर्डेट्स में अधिक विकास के कारण घ्राणपिण्ड द्रासित, घाण क्षमता में कमी,


(9) गर्भाधान अवधि अन्य जीवों से अधिक,


(10) कार्यानुसार दाँतों का विभाजन एवं दाँतों का दो बार आना; प्रथम अस्थाई या दूध के दाँत, द्वितीय स्थाई जो दूध के दाँत गिरने के पश्चात् आते हैं।


(11) अन्य जीवों की अपेक्षा सामाजिक जीवन अधिक विस्तृत एवं संगठित,
(12) अधिकतर वृक्षवासी होते हैं।


शारीरिक रचना की दृष्टि से मानव जिन प्राणियों के अधिक निकट है, वे हैं| उच्च स्तन्य (Primate)| जैसे

लेमूर, टार्शियस, चिम्पांजी, गुरिल्ला, गिब्बन एवं उरांगउटन आदि सभी प्राइमेट वर्ग के हैं और ये सभी मानव के निकटतम संबंधी हैं।

प्राइमेट वंश के सभी प्राणियों में कई सामान्य विशेषताएँ पायी जाती हैं। जो इस प्रकार हैं

प्राइमेट्स की प्रमुख विशेषता क्या है?

(1) शरीर की तुलना में मस्तिष्क अन्य स्तनधारी प्राणियों की तुलना में अधिक बड़ा होता है।

जो काफी जटिल एवं कुशल भी होता है,


(2) आंखें खोपड़ी के अग्रभाग में पायी जाती हैं न कि दायें-बायें। अतः इनमें समदर्शिता (Binocular Vision) का विकास हुआ है।

फलतः त्रिविमीय दर्शिता संभव हो सकी।


(3) नेत्र गोलक अस्थियों से घिरे होते हैं जिससे अधिक सुरक्षित हैं।


(4) घ्राण शक्ति कम होने के साथ-साथ नासिका छिद्र भी छोटा होता गया, अतः नासिका संकीर्ण होती है।


(5) दांतों की संख्या 28 से -6 तक पायी जाती है जो कि एक विशेष आयु पर कम से कम तीन प्रकार [(कृतक Incisor), रदनक (Canine), चर्वणक (molar)] के होते हैं अर्थात् दांतों की बनावट शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों के बीच की होती है।


(6) दोनों ओर घुमाये जा सकने वाली गर्दन होती है। अतः बिना शरीर घुमाए चारों ओर देखा जा सकता है।


(7) कंधे की हड्डी जत्रुक (Clavicle) या (Collar bone) समुचित रूप से विकसित होती है क्योंकि हाथ कंधे से जुड़े होने के कारण वस्तु को हाथों द्वारा मजबूती से पकड़ने के कारण कंधे की हड्डी का अधिक विकास हुआ है।


(8) हाथ में कुहनी के नीचे भाग की हड्डियां (Radius and Ulna) इस तरह जुड़ी हुयी हैं कि हाथ को किसी भी ओर घुमाया जा सकता है।


(9) हाथो और पांवों में स्पष्ट कार्य विभाजन पाया जाता है। हाथ वस्तुएँ पकड़ने, उन्हें मुंह तक पहुँचाने आदि का कार्य करते हैं

जबकि पैरों पर शरीर का भार रहता है। पैरों में ऐडी का विकास इस प्रकार हुआ है जो शरीर का भार उठाने में सहायक है।


(10) समतापी (Warm blooded) होते हैं अर्थात् बाहरी ताप के प्रभाव से रक्त का ताप प्रभावित नहीं होता और सदैव एक समान रक्तताप रहता है।

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