Plant hormones in Hindi पादप हार्मोन -जीव विज्ञान

पादप हार्मोन क्या है या किसे कहते है  Plant hormones in hindi आइये पादप हॉर्मोन के प्रश्न व उनके कार्यो के बारे में कुछ मौलिक बातों को समझते हैं 

पादप हार्मोन(Plant hormones) कौन-कौन से हैं ? इनके प्रकार के नाम क्या है ? पादप हार्मोन (Plant hormones)कौन-कौन से कार्य करती हैं जैसे प्रश्नों के उत्तर जानेगे

Plant hormones in Hindi पादप हार्मोन

पादप हॉर्मोन किसे कहते हैं ?

हॉर्मोन वे रासायनिक पदार्थ है जो पौधे के वृद्धि ,विकास ,फूलो व फलों का निर्माण ,उम्र ,पतझड़ जैसे सभी आवश्यक क्रियाओं का निर्धारण व नियंत्रण करते है यह कई प्रकार के होते है जिन्हें हम पादप हार्मोन कहते है ।

कुछ प्रमुख पादप हॉर्मोन  हैं -ऑक्जिन,जिबरेलिन, सायटोकाइनिन,

वृद्धि हॉर्मोन किसे कहते हैं
पादप हार्मोन Plant hormones in Hindi के अन्तर्गत पौधों के जड़ ,तना,पत्ती,कली इत्यादि को बढ़ने में मदद करने वाला हार्मोन वृद्धि हॉर्मोन है ।

पादप हार्मोन प्रकार 


ऑक्जिन हॉर्मोन के कार्य


कार्य- (i) यह पौधे को लम्बाई में बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
(ii) यह जड़ों के विकास को प्रेरित करता है।
(iii) यह बीज रहित फल निर्माण को प्रेरित करता है।
(iv) यह फलों के गिरने तथा पतझड़ को रोकता है तथा पुष्पन को प्रेरित करता है। आजकल ऑक्जिन का उपयोग खरपतवारों को नष्ट करने के लिये भी किया जाता है।

जिबरेलिन हॉर्मोन के कार्य


कार्य–(i) इसके द्वारा पौधे की लम्बाई में वृद्धि होती है। इससे आनुवंशिक रूप से छोटे पौधे
भी थोड़ा बढ़ जाते हैं।
(ii) यह पुष्पन को जल्दी प्रेरित करता है।
(iii) इसके द्वारा बिना निषेचन के फल प्राप्त किया जा सकता है।
(iv) इसके प्रयोग से प्रसुप्ति काल को कम किया जा सकता है, जिससे जल्दी अंकुरण हो जाता है। इसके
उपयोग से पत्तियाँ लम्बी व चौड़ी होती हैं।

सायटोकाइनिन हॉर्मोन के कार्य


कार्य-(i) अनेक उच्चवर्गीय तथा निम्नवर्गीय पौधों में सभी वृद्धिकारी हॉर्मोन्स में, सायटोकाइनिन
ही कोशिका विभाजन के वास्तविक कारक पाये जाते हैं ।
(ii) इनके द्वारा ऊतक संवर्धन में अवयव रचना का कार्य किया जाता है ।
(iii) सायटोकाइनिन बीजों तथा पौधों के कुल अन्य भागों की प्रसुप्ता को भंग करने में अत्यन्त प्रभावी होते हैं ।

(iv) ये RNA संश्लेषण को नियन्त्रित करने में सूक्ष्म भूमिका निभाते हैं।


एब्सिसिक अम्ल के कार्य


कार्य (i)यह पत्तियों में जीर्णता पैदा कर पतझड़ को प्रेरित करता है ।
(ii) यह कलियों की वृद्धि एवम बीजों के अंकुरण को रोकता है ।


फायटोक्रोम क्या है ?


फायटोक्रोम (Phylochrome)-यह पत्तियों में पाया जाने वाला एक नीला प्रोटीन युक्त वर्णक है, जो लाल प्रकाश किरणों को अवशोषित करता है। यह दो रूपों में पाया जाता है, पहला रूप Pr 660 तरंगदैर्ध्य वाली अवरक्त किरणों तथा दूसरा रूप Pir 740 तरंगदैर्ध्य वाली फार रेड किरणों को अवशोषित करता है। दोनों रूप परस्पर परिवर्तनीय होते हैं।
महत्व—यह पौधों के पुष्पन तथा बीजों की सुप्तावस्था समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाता है। यह
पुष्पन के लिए आवश्यक फ्लोरिजेन हॉर्मोन के निर्माण को प्रेरित करता है।

पुष्पन हॉर्मोन्स Flowering Plant hormones in Hindi क्या हैं? उदाहरण सहित महत्व समझाइये।

पुष्पन हॉर्मोन्स-पुष्पन हॉर्मोन्स वे हॉर्मोन्स हैं , जो क्रमश: ताप एवं प्रकाश के प्रभाव से पादपों में पुष्पन की क्रिया को प्रेरित करते हैं । इस श्रेणी में मुख्यतः दो हॉर्मोन वर्नेलीन एवं फ्लोरीजेन आते हैं।

जैसा कि हम जानते हैं कि पुष्पन की क्रिया को प्रेरित या आरम्भ करने में तापमान की दशाओं एवं प्रकाश के समय अन्तराल का विशेष महत्व रहता है ,जिसके कारण पादपों में पुष्पन हॉर्मोन उत्पन्न होते हैं , जो उपापचयी क्रियाओं (मेटाबोलिज्म ) में ऐसा परिवर्तन करते हैं कि पुष्पन के अंगों का निर्माण होने लगता है । दो पुष्पन हॉर्मोन निम्नलिखित हैं-


वर्नेलिन ( Vernelin)

वर्नेलीन बसन्तीकरण की क्रिया को नियन्त्रण करता है । शीत का प्रभाव जो बसन्तीकरण करता है ,शिखाग्र कलिका द्वारा ग्रहण किया जाता है । मेल्कर्स (Melchers,1973) ने देखा कि बसन्तीकरण के प्रभाव से कोई हॉर्मोन बनता है, इन्होंने इसका नाम वर्नेलिन (Vernelin)रखा ।

हेस (Hess,1975)ने यह संभावना व्यक्त किया कि यह हॉर्मोन जिबरेलिन प्रकार का होता है, क्योंकि जिबरेलीन की क्रिया से शीतलन की आवश्यकता नहीं पड़ती और वह इस क्रिया की जगह लेकर पुष्पन को प्रेरित करता है-

इस हॉर्मोन का संश्लेषण बसन्तीकरण क्रिया द्वारा अंकुरित बीजों की शिखाग्र कलिका में उचित मात्रा में होता है।


फ्लोरिजेन (Florigen)

फ्लोरिजेन प्रकाश की क्रिया के माध्यम से पुष्पन को नियंत्रित करने वाला हॉर्मोन है । हरी पत्तियों की कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली में एक वर्णक फायटोक्रोम पाया जाता है ,जो प्रकाश (दिन) और अन्धकार (रात) के अन्तरालों के उद्दीप्त होकर उपापचयी क्रियाओं के कारण पौधों की पत्तियों एवं पुष्प कलिकाओं को फ्लोरिजेन हॉर्मोन के स्रावण से प्रेरित करता है।

यह हॉर्मोन पुष्प के अंगों का विभेदन प्रेरित करता है। ऐसा माना जाता है कि जिबरेलिन एवं ऐन्थेसिन नामक दो हॉर्मोन्स का सम्मिश्रण है। जिबरेलिन से प्ररोह की वृद्धि (Shoot Groth)और ऐन्थेसिन से पुष्प निर्माण(flowral Construction) कार्य नियन्त्रित होता है ।
जिबरेलिन के छिड़काव से दीर्घकालीन(Long term Plants पादपों में पुष्पन छोटे दिन की दशाओं में भी हो जाता है।