what is Photoperiodism in Hindi दीप्तिकालिता के बारे में जानेगे तथा बसन्तीकरण किसे कहते हैं ? जीव विज्ञान के अन्तर्गत यह लेख आपको जरूर पसंद आएगी
प्रकाशदीप्तिता या दीप्तिकालिता क्या है ? पौधों में इसकी क्या उपयोगिता होती है ?
पौधों में पुष्पन की क्रिया के लिए दिन की एक निश्चित लंबाई की आवश्यकता होती है। पुष्पन की क्रिया के लिए प्रकाश की समयावधि अथवा दिन और रात की आपेक्षिक समयावधि जो पुष्पन के लिए आवश्यक होती है उसे दीप्तिकाल कहते हैं।
इस प्रकार पुष्पन क्रिया के रूप में पौधों का दीप्तिकाल के प्रति अनुक्रिया प्रदर्शित करना ही दीप्तिकालिता (Photoperiodism) कहलाता है।
Photoperiodism in Hindi
पौधों में पुष्पन (Flowering) की क्रिया के लिए दिन की एक निश्चित लम्बाई (Certain day length) की आवश्यकता होती है। पुष्पन की क्रिया के लिए आवश्यक प्रकाश की समयावधि अथवा दिन और रात की आपेक्षिक समयावधि जो कि पुष्पन की क्रिया के लिए आवश्यक होती है उसे दीप्तिकाल (Photoperiod) कहते हैं। इस प्रकार पुष्पन क्रिया (Flowering) के रूप में पौधों का दीप्तिकाल (Photoperiod) के प्रति अनुक्रिया (Response) प्रदर्शित करना ही दीप्तिकालिता (Photoperiodism) कहलाता है।
दीप्तिकालिता in English(Photoperiodism) की घटना की खोज सर्वप्रथम गार्नर एवं ऐलार्ड (Garner and Allard, 1920) ने की थी। उन्होंने देखा कि जब तम्बाकू की मैरिलैण्ड मैमोथ (Maryland mamoth) एवं सोयाबीन (Glycine max) की बिलॉक्सी (Biloxi) प्रजाति अपनी अच्छी कायिक वृद्धि (Vegetative growth) के बावजूद भी ग्रीष्म ऋतु में पुष्प उत्पन्न नहीं कर पाती है, लेकिन इन प्रजातियों को शीत ऋतु (Winter) में ग्रीन हॉउस (Green house) में उगाने पर उनमें पुष्प एवं फलों का विकास होता है।
इस प्रयोग के आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इन पौधों में पुष्पन क्रिया के लिए दिन की लम्बाई (Day length) ही उत्तरदायी होती है तथा तम्बाकू की इस प्रजाति में पुष्पन छोटे दिन (Short day) वाली अवस्थाओं में ही होता है।
दीप्तिकाल (Photoperiod) की अवधि के आधार पर गार्नर एवं ऐलार्ड (Garner and Allard, 1920) ने पौधों को निम्नलिखित तीन समूहों में वर्गीकृत किया है-
(1) छोटे दिन वाले पौधे (Short day plants)
(2) लम्बे दिन वाले पौधे (Long day plants)
(3) दिवस निरपेक्ष पौधे (Day neutral plants)
(1) छोटे दिन वाले पौधे (Short Day Plants = S.D.P.)
ऐसे पौधे जिन्हें पुष्पन क्रिया के लिए अपेक्षाकृत छोटे दीप्तिकाल (8 से 10 घण्टे) एवं सतत् 14 से 16 घण्टे की अन्धकार अवस्था की आवश्यकता होती है, उन्हें छोटे दिन वाले पौधे (S.D.P.) कहते हैं।
इन्हें अल्प प्रदीप्तिकाली पौधे अथवा लम्बी रात्रि वाले पौधे (Long night plants) भी कहते हैं ।
उदाहरण-सोयाबीन (Glycine max), तम्बाकू (Nicotiana tobaccum), कॉकलेबर (Cocklebur) या Xanthium, चावल (Oryza sativa), कपास (Gossypium hirsutum), चीनोपोडियम (Chenopodium) आदि।
(2) लम्बे दिन वाले पौधे (Long Day Plants (L.D.P.)
ऐसे पौधे जिन्हें पुष्पन के लिए अपेक्षाकृत लम्बे दीप्तिकाल (Photoperiod) या लम्बी प्रकाश अवधि (14-16 घण्टे) एवं अपेक्षाकृत छोटी रात्रि की आवश्यकता होती है, उन्हें लम्बे दिन वाले पौधे अथवा (L.D.P.) अथवा दीर्घ प्रदीप्तिकाली पौधे कहा जाता है।
उदाहरण-हेनबेन, (Hyoscyamus), गेहूँ (Triticum caestivum), मटर (Pisum sativus), जई (Avena sativa), चुकन्दर (Beta vulgaris), मूली ( Rapharnus Satirus) आदि।
(3) दिवस निरपेक्ष वाले पौधे (Day Neutral Plants)
ऐसे पौधे जिनमें पुष्पन के लिए किसी विशेष दीप्तिकाल (Photoperiod) की आवश्यकता नहीं होती तथा वे किसी भी प्रकाश काल की उपस्थिति में पुष्प उत्पन्न करने के लिए सक्षम होते हैं, उन्हें दिवस निरपेक्ष पौधे (Day neutral plants) कहते हैं।
दिवस निरपेक्ष पौधे 5 घण्टे के प्रकाश से लेकर 24 घण्टों से सतत् प्रकाश में भी पुष्पन करते हैं।
उदाहरण-टमाटर, कपास, सूर्यमुखी, कद्रू आदि।
बसन्तीकरण किसे कहते हैं ? इसका महत्व लिखिए ।
पुष्पन को प्रभावित करने के लिए बीजों या पौधों को ठंडे स्थानों में रखने की क्रिया को बसन्तीकरण कहते हैं । लाइसेंको नामक वैज्ञानिक ने यह पता लगाया कि यदि शीतकालीन पादप बीजों को 0-5°C ताप पर कुछ दिनों के लिए रखकर इन्हें बसन्त ऋतु में लगाया जाय तो ये उसी वर्ष फल देने लगते हैं
अर्थात बसंतीकरण का प्रदर्शन करते हैं ।
बसंतीकरण का महत्व (i) इस विधि के द्वारा शीत पादपों को बसन्त पादपों में बदला जा सकता है ।
(ii) फसलों को प्राकृतिक कुप्रभावों से बचाया जा सकता है ।
(iii) पौधों में शीघ्रता से पुष्पन कराया जा सकता है ।
(iv) इस क्रिया के द्वारा फसल को शीघ्रता से उत्पन्न किया जा सकता है ।
उम्मीद है आपने Photoperiodism in Hindi प्रकाशदीप्तिता या दीप्तिकालिता क्या है जरूर जाना होगा
और पढ़े
Star’s Birth , Evolution and Final Stage तारे का जन्म