khajuraho Temple MP -खजुराहो के मंदिर

आज हम ऐतिहासिक खजुराहो के मंदिर khajuraho Temple के बारे में कुछ

सामान्य जानकारी आपके सामने साझा करते हैं उम्मीद यह आपको पसंद आएगा।




खजुराहो के मंदिर khajuraho Temple

खजुराहो के मन्दिर khajuraho Temple मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।

इन मंदिरों का निर्माण सन् 910-950 ई. में हुआ था।

ये मंदिर मुख्य रूप से शिव और विष्णु की प्रतिमाओं से सुसज्जित चन्देल शासकों के

कला संबंधी गौरव को प्रदर्शित करने के लिए कुछ प्रमुख स्मारक ही पर्याप्त हैं।

उनकी चर्चा यहां की गई है। किंतु उनके अवशेष तीस मंदिरों से अधिक संख्या में

खजुराहो और उनके पड़ोसी गांव जातकारी में फैले हुए हैं।

कलात्मकता शैली Art Style

खजुराहो के ये मंदिर एक विशेष कला पद्धति का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

उनकी विशेषताएं अद्वितीय हैं। अलंकरण की गहनता

और विविधता में उनका उदाहरण इस देश में अन्यत्र नहीं मिलता।

अलंकरण की मूर्तियों और पच्चीकारी द्वारा जीवन और प्रकृति के अनेक

मार्मिक पक्षों का प्रत्यक्षीकरण किया गया है।

उनमें कल्पना की सूक्ष्मता, वृत्ति वैभव और विश्लेषण जितना ही

परम्परागत है उतना ही नूतन।

खजुराहो के मंदिर आयताकर नागर शैली पर निर्मित हैं। ये सभी मंदिर ऊँचे ऊँचे

चबूतरों पर बने हुए हैं। आगे के हिस्से में अंतराल है और फिर महामंडप खड़े हुये हैं ।

मंदिरों के चारों ओर प्रदक्षिणा मार्ग Precinct route बने हुए हैं जिनमें

रोशनी और हवा के लिए बड़ी बड़ी खिड़कियां हैं ।

बाहरी दीवारों पर शिखर और विमान दिखाई देते हैं।

khajuraho Temple MP

कन्धारिया का शिव मंदिर

खजुराहो में सबसे विशाल और मनोरम मंदिर कन्धारिया का शिव मंदिर है।

यह दसवीं शताब्दी में बना था। मंदिर का अहाता और चबूतरा अत्यंत ऊंचा है।

मंदिर के प्रवेश द्वार कलाकारों और देवताओं के चित्रों से सजे हुए तोरण द्वार है।

अर्धमण्डप और मण्डप में बहुत घने चित्र खुदे हुए है।

मंदिर के बीचोबीच नौ इंच के स्थान में शिव, गणेश तथा सात देवियों की मूर्तिया खुदी है।

इस कन्धारिया महादेव मंदिर में 812 मूर्तिया विद्यमान हैं।

चौंसठ जोगिनी

खजुराहो में चौंसठ जोगिनी का एक मंदिर है। इसकी छत छोटे-छोटे शिखरों से

बनी है। एक जगदम्बी का मंदिर है, जो विष्णु की उपासना में बनाया गया है।

इस अर्द्धमण्डपी मंदिर में सिर्फ चार कक्ष हैं। यह बड़े मंदिरों से कहीं अधिक सुंदर है।

यह चन्देलों के उत्कर्ष काल की याद दिलाता है।

सूर्य की उपासना में बना एक चित्रगुप्त मंदिर है। उसके बीच में एक आठ फुट

ऊंचा शिल्प है।

आसपास नन्दी और पार्वती के छोटे-छोटे मंदिर स्तम्भों पर बने हैं। ये शिल्प-कला के

सुंदर नमूने हैं। पूर्वी भाग में तीन हिन्दू मंदिर तथा तीन जैन मंदिर हैं।

जैन मंदिर

जैन मंदिरों में एक घण्टाई मंदिर, दूसरा आदिनाथ तथा तीसरा पार्श्वनाथ का मंदिर है।

हिन्दू मंदिरों में एक ब्रह्मा, दूसरा वामन और तीसरा जावरा का मंदिर है।

ब्रह्मा का मंदिर खजुसागर के तट पर बना है। ।

जैन मंदिरों में सबसे बड़ा विशाल मंदिर पार्श्वनाथ का है। मंदिर को चारों ओर से घेरने

वाली विशाल दीवार पर तीर्थकर बने हुए हैं।

हिन्दू देवताओं ब्रह्मा, शिव, बलराम आदि की मूर्तियों सजावट के लिए रखी गई हैं।

यह मंदिर ब्राह्मण तथा जैन धर्मों का संगम है।

दक्षिण की ओर दुलदेव, चतुर्भुज या जातकारी के मंदिर हैं। ये मंदिर ऊंचे

चबूतरे पर बने हुए हैं।

खजुराहो के मंदिर पर khajuraho Temple अंकित कई मूर्तियां हैं।

प्रथम, पौराणिक कथाओं से ली गई मूर्तियां हैं। दशावतार, दिग्पाल, इन्द्र, अग्नि,

यम-वरुण, वायु और कुबेर आदि की मूर्तियां।

द्वितीय, यक्ष-यक्षणियों तथा अन्य देवताओं की मूर्तियां हैं। तृतीय, अप्सराओं और

साधारण स्त्रियों की मूर्तियां हैं।

इन मूर्तियों की रचना काम-शास्त्र Kamsutra के आधार पर की गई है।

इनकी नग्नता भी एक कला का उत्कृष्ट रूप है।

अपनी शिल्प की विविधता के कारण खजुराहो के मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है।