जे.आर.डी. टाटा की जीवनी -JRD Tata Biography in Hindi देश के ख्यातिनाम व्यवसायी J. R. D. Tata के जीवन से जुड़ी किस्से व योगदान के बारे में जानकारी हिंदी में
JRD Tata Biography in Hindi
जन्म एवं बचपन-
जे.आर.डी. टाटा का पूरा नाम जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा था। वे पूरे देश में जे.आर.डी. टाटा के नाम से जाने जाते है। उनका जन्म 29 जुलाई, 1904 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ। उनके पिता का नाम रतनजी टाटा था। जो भारतीय पारसी थे तथा उनके चाचा जमशेदजी टाटा थे। उनकी माता सुजैन थी तथा शादी के बाद उनका नाम बदलकर सोनी रख दिया गया। टाटा जब केवल दस साल के ही थे तभी से उन्होंने अपने भविष्य के सपने देखने शुरू कर दिए थे सन् 1926 में जब वे 22 वर्ष के थे उस समय उनके पिता का देहान्त हो गया। कि अपने पीछे जे. आर. डी. के कंधों पर उत्तरदायित्वों का भारी बोझ छोड़ गए। परिवार के उत्तरदायित्वों के अलावा उसके सिर पर कर्जों का बोझ था। उसे इन सभी उत्तरदायित्वों को पूर्ण करना तथा कर्ज उतारने का कर्त्तव्य निभाया था। ताकि उनके परिवार तथा उनकी परम्परा का साफ सुथरा नाम खराब न हो।
JRD Tata उद्योग का मालिक-
अपने पिता की मृत्यु के बाद जे. आर. डी. टाटा ने सभी उद्योगों का कार्यभार संभाला। जब उसने कार्य सँभाला था उस समय टाटा समुदाय में केवल 14 कंपनियाँ थी। परन्तु जब जे.आर.डी. टाटा के 50 वर्षों के दौरान हुआ। अपने इस पद को सन् 1991 में अपने भाई के बेटे रतन टाटा को सौंप दिया। कठिन परिश्रम करके अपने उद्योगों को पूरे भारत फैलाकर अपने सपनों को हकिकत में बदला। उनका एक मजबूत विचार था देश में निजी कंपनियाँ गरीबी को कम करने का एकमात्र उपाय है। जब ये टाटा ग्रुप इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष बने थे तब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था। आजादी के लिए संघर्ष में उन्होंने सक्रिय योगदान दिया जमशेद जी ने भी कहा था भारत में उद्योगों को बढ़ावा देकर उनकी संख्या बढ़ाकर तथा लोगों को रोजगार देकर देश से गरीबी को मिटाना संभव है।
उनके नेतृत्व के दौरान टाटा उद्योग का विकास शानदार था। जिसकी किसी भी अन्य उद्योग से तुलना नहीं की जा सकती, उनके सौ से भी अधिक संख्या में उद्योग स्थापित है जिनमें कि नमक से लेकर स्टील , साबुन से लेकर एटॉमिक पावर, पाँच सितारा होटलों से लेकर यातायात से संबंधित उद्योग है। उन्होंने जिन उद्योगों का निर्माण किया है। उनके व्यक्ति की झलक देखने को मिलती है। उन्होंने हमेशा सभी श्रमिकों के प्रति अच्छी भावनाएँ रखी हैं। वे एक साधारण इंसान थे तथा एक बार उन्होंने स्वयं भी कहा है कि मैं एक साधारण सामान्य व्यवसायी हूँ जिसने अपने व्यावसायिक तथा औद्योगिक विकास के लिए अपने कार्य पर पूरा ध्यान देते हुए तथा अवसरों का उचित प्रयोग करते हुए अपने कर्तव्य का पालन किया। उन्होंने सभी जीवन मूल्यों का अनुसरण किया। उन्होंने कहा है कि कुछ महानता प्राप्त करने के लिए गहन अध्ययन तथा सख्त परिश्रम की आवश्यकता होती है। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में सबसे अच्छा पाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने अच्छा जीवन जीने के लिए न केवल अपने विचार शब्द तथा सिद्धान्त लोगों का दिए है बल्कि उन्होंने इन विचारों को अपने व्यवसायिक जीवन में भी अपनाया है तथा सफलतापूर्वक उसका अनुसरण किया है। उनके विचार में उनके उद्योगों ने कभी भी विकास की इन ऊँचाइयों को नहीं हुआ था। टाटा हाऊस जिसे की औद्योगिक घराना के नाम से पुकारा जाता है इस उद्योग ने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को विशेषज्ञ बना दिया है। वे अपने उद्योगों को पूरे भारत में बढ़ाना चाहते थे। उद्योगों में चलने वाली मशीनें तथा पहिए जो आवाज़ करते थे उनके लिए कर्णप्रिय संगीत था न कि शोर था। उन्होंने न केवल पूरे भारत में अपनी कंपनियों को फैलाया बल्कि तकनीकी तथा औद्योगिक विकास के लिए संस्थाओं का निर्माण किया। 25 मार्च 1991 में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें उस एक इंसान को चुना जाता था जो टाटा एम्पायर का पूरा कार्यभार सँभाल सके।
उस सम्मेलन में रतन टाटा को टाटा ग्रुप का नया अध्यक्ष चुना गया।
JRD Tata का भारत में उड़ने का साहसिक कार्य-
दस साल की उम्र में ही जे.आर.डी. टाटा एक पायलट बनना चाहते थे। जब वे 1929 में भारत वापस आए तब वे मुंबई फ्लाइंग क्लब के सदस्य बने और व पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें पायलट का लाइसेंस मिला। इस तरह भारत में पहली बार टाटा एयर लाइन्स की शुरुआत हुई।
सन् 1932 में एयर इण्डिया की शुरुआत हुई और बाद में अपनी सेवाएँ पश्चिमी देशों तक बढ़ा दी तथा कुछ समय बाद 1950के दौरान इसकी सेवाएँ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका यूरोप तक फैल गई। सन् 1932 में पहली बार अपने यान में जो कि केवल एक इंजन वाला यान था वे इससे मुंबई से कराची गए और इसके बाद मुंबई वापस आ गए जब वे भारतीय एयरलाइंस के अध्यक्ष पद पर थे जब कोई बड़ा हो या छोटा हो सभी को बराबर का महत्त्व देते थे। उन्हीं के प्रयासों से टाटा एयरलाइंस पूरे संसार की सरकारी एयरलाइंस बन गई थी।
JRD Tata महान कल्पनाशील व्यक्ति-
सन् 1951 में जे.आर.डी. टाटा ने भारत में बढ़ती हुई आबादी पर अपना खेद व्यक्त किया है। उन्हें इस बढ़ती हुई जनसंख्या पर काफी चिन्ता थी तथा वे भारत के विकास के जे.आर.डी. टाटा लिए कार्य करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि अगर हम इस जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण में करने के लिए कोई कदम नहीं उठा सकते तो हमें आने वाली उन समस्याओं का सामना करना
होगी। उसके बाद सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण में करने के उपाय ढूँढने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई जिसमें लोगों को जनसंख्या वृद्धि से होने वाली परेशानियों से अवगत कराया गया।
तब सरकार ने उनके विचारों पर कोई ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने अपनी एक संस्था शुरू की जिसमें उन्होंने अपने उद्योगों में लगे लोगों को परिवार नियोजन का तरीका अपनाने के प्रति जागरुक किया। उनका मानना था कि राष्ट्र का विकास परिवार नियोजन पर ही निर्भर करता है। उन्होंने “इंटरनैशनल सैन्टर फॉर पॉपुलेशन स्टडीज” तथा फैमिली प्लानिंग फाउंडेशन ऑफ इण्डिया” की शुरुआत की। उन्होंने टाटा मैमोरियल हॉस्पिटल की भी शुरुआत की ताकि वे देश को चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ प्रदान करा सके। उन्होंने जनसंख्या विस्फोट के खतरों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। उनका मानना है कि अगर सरकार ने उनके विचार पर 40 साल पहले ध्यान दिया होता तथा इसके बचाव के लिए योजना बनाई होती तो आज हमें इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
JRD Tata का मानवतावाद-
जे.आर.डी. टाटा ने एक संस्था की शुरुआत की। इस संस्था के कार्यों में औरतों की शिक्षा का विकास परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार करना तथा जनसंख्या,नियन्त्रण प्रमुख थे। उन्हें कीर्ति तथा सम्मान पाना अच्छा नहीं लगता था, उनको हमेशा इस बात पर पश्चाताप था कि परिवार नियोजन भारत में सफल नहीं हो सका और जब भी जनसंख्या का मुद्दा उठाया तो वे कहते थे कि जनसंख्या विस्फोट कभी भी हो सकता है। हमें इस विस्फोट को रोकने हेतु प्रयास करना चाहिए। वे जन्म से एक पारसी थे परन्तु उनके विचार में सभी धर्मों के प्रति गहरी आस्था थी। उनका मानना था कि धर्म एक दूसरे से अलग कर देते हैं। इसलिए वे मानवतावाद पर विश्वास करते थे धर्मवाद पर नहीं। उनके ईमानदार विचार तथा सोच बहुत ही आश्चर्यजनक थी।
एक कला प्रेमी के रूप में JRD Tata –
जे.आर.डी. टाटा बचपन से ही प्रकृति प्रेमी थे और वे कुछ खास तरह की पेंटिग्स नमूने तथा अन्य कलात्मक वस्तुएँ समय-समय पर खरीदते रहते थे। उनके पास जिस तरह की कलात्मक चीजों का संग्रह था उनकी कुल कीमत दस करोड़ थी। वास्तव में पूरे संसार में वे भारतीय कला संस्कृति तथा इसकी परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने इस सब चीजों का संग्रह करने में कई वर्ष लगाए। ये सब चीजें भारत की संस्कृति को दर्शाती है। मुंबई के ताज होटल में भारत की कला तथा संस्कृति से संबंधित चीजों का एक छोटा सा संग्रहालय बना हुआ है।
J R D Tata की वैज्ञानिक प्रकृति-
जे.आर.डी. टाटा की पूरिपूर्णता की खोज में उनकी बौद्धिकता ने मानवीय गतिविधियों के सभी क्षेत्रों को छुआ तथा उन्होंने सन् 1944 में मुंबई का पूर्ण विकास करने की छाप छोड़ी। यह एक संग्रह वर्षीय विकास योजना थी, जिसको कि बहुत प्रसिद्ध उद्योगपति जी. डी. बिड़ला ने भी प्रोत्साहिक किया था। उन्होंने बाम्बे प्लान बनाते समय प्रशंसा न पाने के लिए लोगों के सामने इसका कम प्रचार किया। वास्तव में उन्होंने बड़ी शांति से लोगों को अपने विचार के बारे में बताया जिससे मुंबई का विकास होगा। इसके साथ ही भारतीय सरकार पर ब्रिटिश शासन का योजना आयोग घोषित किया गया। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत अधिक योगदान दिया था तथा वे भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के अध्यक्ष भी रहे।
यटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च विश्व में इस तरह का महानतम संस्थान तथा जिसकी स्थापना से परमाणु वैज्ञानिक जहाँगीर भाभा तथा जे.आर.डी. टाटा की वैज्ञानिक सीमा की प्रकृति का पता चलता है। यह संस्थान देश को परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में तथा जे. आर. डी. द्वारा भारत में ऍटामिक रिसर्च तथा परमाणु शक्ति यूनिट की स्थापना के लिए फंड प्रदान कर एक महान सेवा प्रदान की।
टाटा अवार्ड्स Tata Awards
जे.आर.डी. टाटा को भारत ही नहीं विदेशों से भी कई पुरस्कार मिले जिनकी संख्या बहुत अधिक थी। सन् 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्हें साइंस के शिक्षा शास्त्रीय की उपाधि प्राप्त हुई। 1948 में उन्हें भारतीय वायु सेना के सम्माननीय नेता के रूप में सम्मानित किया गया।
सन् 1955 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पदम विभूषण से सम्मानित किया गया। सन् 1953 में वे इंटरनेशनल मैंनेजमेंट मैन ऑफ द ईयर बने। सन् 1988 में उन्हें दादाभाई नौरोजी मैमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया। भारत को आधुनिक भारत बनाने में उनके योगदान के कारण उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्होंने बहुत से राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किए तथा वे पहले ऐसे उद्योगपति थे जिसे देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
जीवन के अंतिम दिन-
अपनी पूरी जिन्दगी एक उद्योगपति के रूप में देश की सेवा करने वाले जे.आर.डी. टाटा का 26 नवम्बर, 1993 को स्वीट्जरलैण्ड के जिनेवा के एक सरकारी अस्पताल में 90 साल की उम्र में देहांत हो गया। पूरा संसार उनकी
मृत्यु से दुःख के सागर में डूब गया।
FAQ
जेआरडी टाटा को भारत रत्न क्यों मिला ?
उत्तर -आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान
जे आर डी टाटा का पूरा नाम क्या है?
उत्तर -जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा
जे आर डी टाटा का जन्म कब हुआ?
उत्तर -फ्रांस की राजधानी पेरिस में 29 जुलाई 1904 को
जेआरडी टाटा के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर -रतनजी टाटा
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय 2021 जयंती Sardar vallabbh bhai Patel Biography in Hindi