आपराधिक षडयंत्र के आवश्यक तत्व क्या है What is essential element of criminal conspiracy. IPC 120 A,120 B in Hindi
Criminal Conspiracy- IPC 120 in Hindi
आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा–भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-क में आपराधिक षडयंत्र(Criminal conspiracy) की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है कि
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति-
- कोई अवैध कार्य, अथवा
- कोई ऐसा कार्य जो अवैध नहीं है, अवैध साधनों द्वारा करने या करवाने को सहमत होते हैं, तब ऐसी सहमति आपराधिक षडयंत्र कहलाती है।
परन्तु किसी अपराध को करने की कोई सहमति के सिवाय कोई सहमति आपराधिक षड्यन्त्र तब तक न होगी, जब तक कि सहमति के अलावा कोई कार्य उसके अनुकरण में उस सहमति के एक या अधिक पक्षकारों द्वारा नहीं कर दिया जाता।
व्याख्या-यह तत्वहीन है कि अवैध कार्य ऐसी सहमति का चरम उद्देश्य है, या उस उद्देश्य का आनुषंगिक मात्र है उपर्युक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि आपराधिक षडयंत्र के लिए निम्नलिखित तथ्यों का होना आवश्यक है-
- दो या दो से अधिक व्यक्तियों में समझौता, या
- कोई कार्य करने के लिए समझौता जो कार्य अवैध हो, या
- जो अवैध साधनों से किया जाय।
एक नवीनतम वाद स्टेट ऑफ महाराष्ट्र बनाम सोमनाथ थापा’ में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि “आपराधिक षडयंत्र का आरोप सिद्ध करने के लिए यह आवश्यक है कि कोई अवैध कार्य का अवैध तरीकों से किया जाना आवश्यक है। कुछ मामलों में अवैध कार्यों के किए जाने के लिए सामान तथा सेवाओं का प्रयोग किये जाने का अनुमान इन कार्यों के करने से भी लगाया जा सकता है। इस तथ्य को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है।[ए.आई.आर. 1996 सु. को. 1744.]
आपराधिक षड्यन्त्र के आवश्यक तत्व- Essential element of criminal conspiracy
आपराधिक षडयंत्र के निम्नलिखित आवश्यक तत्व हैं-
(1) षडयंत्रकारियों के बीच किसी करार का होना-आपराधिक षडयंत्र का प्रथम तत्व है षड्यन्त्रकारियों के बीच किसी करार का होना । ‘करार’ (Agreement) आपराधिक षडयंत्र के अपराध का सार (Gist) है। किसी अवैध कार्य को करने का करार’ तब तक बना रहता है जब तक कि ऐसा करार करने वाले व्यक्ति उससे सम्बद्ध रहते है एवं उसके अनुसरण में कोई कार्य करते रहते हैं।
[हुसैन अमर बनाम दिली सिंह, (ए.आई.आर. 1988, एम.सी. 1883] [ई. जी वारसे (ए.आई.आर,1961, एम.सी.1762]
(2) करार या किसी अवैध कार्य के लिए किया जाना आपराधिक षडयंत्र का दूसरा आवश्यक तत्व है करार का किसी अवैध कार्य के लिए किया जाना है। अवैध कार्य से अभिप्राय ऐसे कार्य से जिसे किया जाना विधि के विरुद्ध हो। उदाहरण के लिए, एक स्त्री, जिसको यह विश्वास है कि वह गर्भवती है, जबकि वस्तुतः वह गर्भवती नहीं है, किसी अन्य व्यक्ति से गर्भपात कराने के लिए औषधि अथवा अन्य साधन जुटाने के लिए समझौता करती है। यह धारण किया गया है कि वह आपराधिक षडयंत्र की दोषी है।
(3) आपराधिक षडयंत्र का कम से कम दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होना-आपराधिक षड्यन्त्र का आरोप गठित करने के लिए यह आवश्यक है कि यह अपराध कम से कम दो अथवा अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ हो ।
(4) कार्य का किसी वैध कार्य को अवैध साधनों के द्वारा किये जाने के लिए होना- आपराधिक षडयंत्र के लिए यह आवश्यक है कि करार या तो अवैध कार्य को किये जाने के लिए होना चाहिए या फिर किसी वैध कार्य को अवैध साधनों के द्वारा किये जाने के लिए
इस सम्बन्ध में अमृतलाल’ का प्रकरण उल्लेखनीय है। इस वाद में अमृतलाल एवं उसके अन्य साथियों पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 (Explosive Substance Act) की धारा 4 के अन्तर्गत मानव जीवन को खतरे में डालने के आशय से अपने पास बम बनाने के सामान रखे जाने के आरोप में आपराधिक षडयंत्रका मुकदमा चलाया गया। न्यायालय ने निर्णय में कहा कि, “कोई भी व्यक्ति आपराधिक षडयंत्र का दोषी हो सकता है, यद्यपि वह आपराधिक कार्य, जिसको करने के लिए षडयंत्र किया गया हो न किया गया हो।
आपराधिक षडयंत्र में केवल कोई कार्य करने के लिए समझौता होना ही पर्याप्त है, चाहे वह कार्य किया जाय या न किया जाय।’
किसी व्यक्ति द्वारा किसी स्त्री के ऐसा कोई कार्य अथवा समझौता किया जाना कि वह वेश्या (Prostitute) बन जाये, या किसी व्यक्ति के साथ अवैध सम्बन्ध स्थापित करे इस धारी के अन्तर्गत अपराध गठित करता है।
आपराधिक षडयंत्रके लिए दण्ड( Punishment)- IPC 120 B in Hindi
धारा 120-ख के अनुसार जो भी व्यक्ति मृत्यु या आजीवन कारावास या दो वर्ष के कठोर कारावास या अधिक अवधि के कारावास के दण्डनीय अपराध के लिए आपराधिक षडयंत्र में भाग लेता है, तो ऐसे षडयंत्र के लिए दण्ड की व्याख्या का उल्लेख न होने पर भी उस प्रकार से उस अपराधी को दण्डित किया जायेगा
जैसे वह अपराध को दुष्प्रेरित किया जाने के दण्ड का भागीदार होता है अन्यथा दूसरे मामलों में 6 माह के कारावास का जुर्माना या दोनों दण्डित किया जायेगा।
केहर सिंह बनाम दिल्ली राज्य के वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया या है कि “भारत में षडयंत्र विधि को धारा 102-A तथा धारा 120-B के द्वारा लाया गया है जो कि इंग्लैण्ड की विधि पर आधारित है। षडयंत्र के अपराध का प्रमुख तत्व दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी अवैध कार्य को करने का समझौता है। वह अवैध कार्य उस समझौते के अन्तर्गत किया गया हो अथवा नहीं लेकिन ऐसा समझौता अपराध है तथा दण्डनीय है।