Hindi Divas Essay हिन्दी दिवस क्यों मनाते हैं ?
हिंदी दिवस क्या है ?
क्यों मनाते है हिंदी दिवस ?
कब मानते है हिंदी दिवस ?
आईये इन्ही सभी जानकारी के लिए यह हिंदी लेख आपके सामने प्रस्तुत है। कुछ सामान्य व महत्वपूर्ण जानकारी।
प्रस्तावना – किसी देश की भाषा उस देश की राष्ट्र भाषा होती है वैसे ही हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है।
भाषाई आधार उस देश को महत्वपूर्ण गरिमा प्रदान करता है।
हमारे देश में कई भाषाएँ होने पर भी हिंदी भाषा का विशेष महत्व है।इन्ही भावनाओं का पर्व है Hindi Divas हिंदी दिवस
हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है ? ( why are celebrating Hindi Divas /Day )
14 सितम्बर, 1949 के दिन संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाषा प्रावधानों को अंगीकार कर
हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी।
संविधान के सत्रहवें भाग के पहले अध्ययन के अनुच्छेद 343 के अन्तर्गत राजभाषा के सम्बन्ध में तीन मुख्य बातें थी
संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का
रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा।
अतः 14 सितम्बर को हम प्रतिवर्ष हिंदी दिवस Hindi divas /Hindi Dayके रूप में मनाते है
क्या कहता है संविधान का उपबंध राजभाषा (Hindi Divas) के बारे में
खण्ड-1 में किसी बात के होते हुए भी इस संविधान के प्रारम्भ में 15 वर्षों की समयावधि के लिए संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जो आवश्यक हैं, परन्तु राष्ट्रपति उस समयावधि में आदेश द्वारा संघ के राजकीय प्रयोजनों में से किसी में अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हिन्दी भाषा का तथा भारतीय अंकों के अन्तर्राष्ट्रीय रूप के साथ-साथ देवनागरी रूप का प्रयोग अधिकृत कर सकेगा।
इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी संसद उक्त 15 वर्षों की समयावधि के पश्चात् विधि द्वारा
(क) अंग्रेजी भाषा का या
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का, ऐसे प्रयोजन के लिए उपयोग उपबन्धित कर सकेगी जैसा कि ऐसी विधि में उल्लेखित है।
संविधान के अंतिम अनुच्छेद 351 में निर्देश है कि हिन्दी भाषा की प्रसार वृद्धि करना, उसका विकास करना राज्य का दायित्व है ताकि वह भारत की समन्वित संस्कृति के सब तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके, तथा उसकी स्वाभाविकता में हस्तक्षेप के बिना हिन्दुस्तानी और अष्टम् अनुसूची में उल्लिखित अन्य भाषाओं के रूप, शैली और पद्धति को आत्मसात् करते हुए तथा जहाँ तक आवश्यक या वांछनीय हो, वहाँ तक उसके शब्द भण्डार के लिए मुख्यतः संस्कृत से तथा गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करना संघ का कर्त्तव्य होगा।
हिंदी दिवस Hindi Divas
तब से प्रतिवर्ष 14 सितम्बर के दिन हिन्दी दिवस (hindi divas) मनाया जाता है। कहीं-कहीं सप्ताह या हिन्दी पखवाड़ा भी मनाया जाता है।
हिन्दी दिवस के नाम पर कवि सम्मेलन, गोष्ठी, पत्र वाचन प्रतियोगिता, नारा प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता इत्यादि विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम इस दिन आयोजित किये जाते हैं।
हिंदी ही राष्ट्र भाषा क्यों ?
अब सवाल उठता है कि अन्य भाषाओं (अंग्रेजी जैसी समृद्ध भाषा) के होते हुए हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा के पद पर क्यों सुशोभित किया गया।
आप लोगों को शायद गाँधीजी का यह कथन याद होगा “अगर स्वराज्य अंग्रेजी बोलने वाले भारतीयों का और उन्हीं का होने वाला है तो बेशक अंग्रेजी ही राष्ट्रभाषा होगी किन्तु यदि स्वराज्य करोड़ों भूखे मरने वालों, करोड़ों निरक्षरों, निरक्षर बहनों, दलितों व अन्त्यजों का हो, और इन सबके लिए होने वाला हो, तो हिन्दी ही एक मात्र राष्ट्रभाषा हो सकती है।”
महात्मा गाँधी ने गुजरात के शिक्षा सम्मेलन में राष्ट्रभाषा के लक्षणों के सम्बन्ध में कहा
अमलदारों (समझने ) की भाषा सरल होनी चाहिए। उस भाषा के माध्यम से भारतीयों का परस्पर धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार होना चाहिए। बहुत से लोग उस भाषा को बोलते हों।
उस भाषा का विचार करते समय किसी क्षणिक या अन्य स्थाई स्थिति पर जोर नहीं देना चाहिए।
उक्त लक्षणों की कसौटी पर हिन्दी को कसने के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि हिन्दी ही राष्ट्रभाषा हो सकती है।
इन्दौर में गाँधीजी ने कहा था “हिन्दुस्तान को अगर सचमुच एक राष्ट्र बनना है तो चाहे कोई माने या न माने, राष्ट्रभाषा तो हिन्दी ही बन सकती है, क्योंकि जो स्थान हिन्दी को प्राप्त है, वह किसी दूसरी भाषा को कभी नहीं मिल सकता। हिन्दू-मुस्लिम दोनों को मिलाकर करीब 22 करोड़ मनुष्यों की भाषा थोड़े बहुत हेर-फेर से हिन्दुस्तानी ही है।
राजभाषा आयोग का गठन
संविधान के अनुसार जून 1955 में राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने राजभाषा आयोग का गठन किया। आयोग के अध्यक्ष बी.जी. खेर थे।
आयोग की मुख्य बातें निम्नांकित थी
सम्पूर्ण सत्ता/संविधान द्वारा स्वीकृत निःशुल्क अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा देश की राष्ट्रभाषाओं में ही दी जा सकती है।
चाहे वह भाषा प्रादेशिक भाषा ही क्यों न हो। अतः प्रान्तीय सम्बन्धों के लिए हिन्दी को मान्यता देना व्यवहारिक है, क्योंकि वह अधिकांश व्यक्तियों द्वारा बोली और समझी जाती है।
दो राजभाषाओं को मान्यता देना अव्यावहारिक है।
राजभाषा में पारिभाषिक शब्दों के निर्माण में स्पष्टता संक्षिप्तता और सरलता पर ध्यान देना वांछनीय होगा।
भाषा की शुद्धता का नारा देना अहितकर हो सकता।
माध्यमिक विद्यालय स्तर पर हिन्दी की पढ़ाई अनिवार्य है।
विश्वविद्यालय स्तर पर स्नातकोत्तर अध्ययन सुविधा हो कि हिन्दी माध्यम से परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित हो सके।
न्यायालय
शासन कार्यों में सभी सरकारी नियमों, आदेशों, आदि का अनुवाद लिखित पारिभाषिक शब्दों के साथ हिन्दी में हो।
उसके कर्मचारियों का हिन्दी ज्ञान अपेक्षित हो, उसके लिए एक निश्चित अवधि दी जाये। कर्मचारी अगर उस अवधि में आवश्यक ज्ञान प्राप्त न करें तो दण्ड का प्रावधान हो।
सर्वोच्च न्यायालय में सारे कार्य हिन्दी में हों। प्रतियोगिता की परीक्षाओं की भाषा वही और उसी प्रकार की हो जैसा कि शिक्षा के क्षेत्र में लागू की जाये। अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिन्दी का एक अनिवार्य पत्र हो।
समिति के दो सदस्यों डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी एवं डॉ. सुषमा राव ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
संविधान के 351 वें अनुच्छेद में संविधान की आठवीं अनुसूची का जिक्र किया गया है, जिसके अनुसार संघ मान्यता दी गई है।
ये भाषायें है हिन्दी, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, उर्दू, पंजाबी, असमिया, बांग्ला, संस्कृत, कश्मीरी, सिन्धी, मणिपुरी, कोंकणी और नेपाली अवधी, बोड़ो, डोंगरी, सन्थाली।
संविधान में इस बात का उल्लेख किया गया कि हिन्दी को समृद्ध करने हेतु इन सभी भाषाओं से मदद ली जावेगी।
1961 में मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में त्रिभाषा सूत्र स्वीकार किया गया।
त्रिभाषा सूत्र
० क्षेत्रीय भाषा और मातृभाषा-मातृभाषा क्षेत्रीय भाषा से भिन्न हो।
o हिन्दी या हिन्दी क्षेत्र की दूसरी भारतीय भाषा।
० अंग्रेजी या एक यूरोपीय भाषा।
सन् 1968 में पुनः राजभाषा संकल्प किया गया। इसके अन्तर्गत त्रिभाषा फार्मूला अपनाया गया।
(1) हिन्दी (2) अंग्रेजी (3) इन दोनों के अतिरिक्त कोई अन्य भारतीय भाषा,
जैसे उत्तर भारतवासी या हिन्दी भाषा भाषी दक्षिण भारत की कोई भाषा और दक्षिण भारतवासी उत्तर की कोई भाषा पढ़े।
लेकिन इसका क्रियान्वयन ईमानदारी से नहीं हुआ। तमिलनाडु में हिन्दी का विरोध हुआ।
दक्षिण भारत में हिन्दी पढ़ाने का कार्य तेजी से आरम्भ हुआ।
जगह-जगह हिन्दी प्रचार समितियाँ बनी।
प्रदेशों में हिन्दी विकास संस्थान, राजभाषाविद्यालय में उत्सव एवं जयन्तियाँ 52 विभाग,
राष्ट्रभाषा परिचय हिन्दी भाषा अकादमी, हिन्दी साहित्य अकादमी, हिन्दी ग्रन्थ अकादमी आदि विभिन्न प्रकार की संस्थाएं बनीं।
इतना प्रयास करने के बावजूद हिन्दी जन-जन की भाषा नहीं बन सकी।
इसका मुख्य कारण यह है कि आज भी लोगों का अंग्रेजी के प्रति मोह समाप्त नहीं हो पा रहा है,
बल्कि यह दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
आज गाँव-गाँव, शहर शहर में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल इस बात के प्रतीक है कि एक गरीब से गरीब इनमें दाखिला करवाना चाहता है।
हिन्दी दिवस का आयोजन
राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रति सहज अनुराग का जागरण करने के उद्देश्य से हिन्दी दिवस का आयोजन किया जाता है।
ऐसे आयोजन सभी के सहयोग से किए जाने चाहिए।
विद्यालय में इसकी भरपूर तैयारी की जानी चाहिए।
भाषा और साहित्य विषयक विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कर भाषा का महत्व उसके प्रति लगाव, अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास करना, शुद्ध व सुन्दरता से लिखना सिखाना चाहिए।
एक सप्ताह अथवा इससे अधिक समय तक नियमित रूप से विद्यालय में क्षेत्रीय भाषा के प्रयोग को छोड़कर हिन्दी के ही उपयोग द्वारा छात्रों में हिन्दी अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास किया जा सकता है।
संगीत, कवितापाठ, भाषण, आशुभाषण, वाद-विवाद, लेख, सुलेख, प्रश्नोत्तरी, एकांकी, वार्तालाप आदि
अनेक ऐसी क्रियाएं हैं जिनसे छात्रों में विकास के साथ हिन्दी भाषा प्रेम भी जागृत किया जा सकता है।
हिंदी दिवस का महत्व
हिंदी अधिकतर हमारे परिवेश में बोली जाती है इसलिए सहजता से ज्ञान अर्जन व सम्प्रेषण का यह सशक्त माध्यम है।
मातृभाषा में शिक्षा बहुत जरूरी है ,परन्तु हिंदी सर्वमान्य व समझने में सरल है।
गुजराती ,मराठी ,ओड़िया भाषी आसानी से हिंदी समझने में सहजता महसूस करते है।
इसके विपरीत हिंदी भाषी लोंगो को अन्य भाषा समझने में परेशानी निर्मित हो सकती है।
हिंदी दिवस संपूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने में ज्यादा असरकारी हो सकता है।
निःसंदेह भारत विभिन्न भाषाओँ को बोलने वाले लोग है पर हिंदी इनके बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी निर्मित करती है।
हिंदी दिवस दस पंक्ति
प्रत्येक भारतीय को हिंदी दिवस आत्मीयता के साथ मनाकर इसका संवर्धन ,विकास ,व कठिनाइयों को दूर करना चाहिए।
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है परन्तु अन्य भाषाओँ का विकास व संवर्धन हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बनती है।
भाषायी श्रेष्ठता गौरवशाली होनी चाहिए न की कटुता पूर्ण ,कटुता राष्ट्र के नागरिकों को विवाद के स्थिति में ले जाती है।
यह देश के निर्माण में बाधक है।
हिंदी दिवस एकता के लक्ष्य को केंद्रित होना चाहिए
हमारी जिम्मेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।
हिंदी दिवस निःस्वार्थ पूर्ण व गैर राजनितिक होनी चाहिए।
अधिकार व उतरदायित्व का ज्ञान हिंदी दिवस के अवसर पर होना चाहिए
हिंदी दिवस पर हिंदी के अलावा अन्य भाषा भी हमारी जड़े है इनका ख्याल रखना होगा
भारतीय भाषा महत्वपूर्ण है परन्तु अन्य विदेशी भाषा भी हमारे लिए समन्वय का साधन होती है ,हेय की दृष्टि नहीं रखना चाहिये।
” हम खिड़किया बंद कर समस्या से निजात नहीं पा सकते जबकि उसी खिड़की से ताजगी वाली हवा आने वाली हो ”