GAGAN Satellite गगन प्रणाली System

गगन प्रणाली (GAGAN System-GAGAN Satellite ) एक उपग्रह आधारित संवर्धित(Augmented) प्रणाली है जिसका काम विमानों के उड़ान भरते समय उन्हें अत्याधुनिक तरीके से सटीक जानकारी मुहैया कराना है जैसे
मौसम, अक्षांश की जानकारी, हवा में स्थिति की जानकारी, ऊँचाई, गति और समय इत्यादि.

GAGAN Full Form /Gagan Satellite गगन फूल फार्म क्या है?

गगन का पूरा नाम जीपीएस एडेड जियो ऑगमेंटेड नेवीगेशन (GPS-AIDED GEO Navigation) है.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह प्रणाली जमीनी उपकरणों की मदद के बिना विमान को हवाई पट्टी पर सकुशल उतारने में मदद करती है. भविष्य मे ट्रेनों, बसों और समुद्री जहाजों के सुरक्षित संचालन के अलावा कृषि, रक्षा व सुरक्षा तथा आपदा प्रबन्धन के क्षेत्रों में भी घटनास्थल के सटीक आकलन में भी यह प्रणाली मददगार साबित होगी.

गगन प्रणाली -GAGAN System का मुख्य उद्देश्य क्या है?

जीवन-सुरक्षा उपयोग हेतु एक प्रमाण योग्य उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली की स्थापना करना. यह विमानों को जमीन से ऊपर ले जाने या ऊपर से नीचे लाने में ऊँचाई का सटीक आकलन करने में पायलट के लिए बेहद मददगार है. इस तरह की ऊर्ध्व दिशा निर्देशन में सक्षम प्रणालियाँ अभी तक दुनिया में केवल दो अमरीका का ‘वास’ तथा यूरोप का ‘इगनोस’ के रूप में काम कर रही है.
गगन जीपीएस सेवा(Gagan GPS Service) का विस्तार पूरे देश में और बंगाल की खाड़ी, दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया से लेकर अफ्रीका तक करेगा.


भारत में गगन Gagan प्रणाली की शुरूआत

13 जुलाई, 2015 को की गई. गगन को पहले से ही 30 दिसम्बर, 2013 के बाद से संचालन के लिए प्रमाणित किया गया था. 24 फरवरी, 2014 से ही गगन लगातार इसरो के जी-सैट 8 और जी-सैट-10 उपग्रहों से नेविगेशन संकेत भेज रहा है. जिससे भारतीय
उड्डयन क्षेत्र मे जीपीएस संकेतों की क्षमता बढ़ गई है.
गगन भूमध्यवर्ती दीर्घगोलाकार में लम्बवत् निर्देश संचालन करने वाली प्रथम उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली (SBAS) है. गगन की तकनीक की वजह से विमानों से लगातार सम्पर्क बनाए रखने के लिए टॉवर सिस्टम के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. चूँकि विमान से सम्बन्धित सारी जानकारी उपग्रह के जरिए उपलब्ध होगी. उससे न सिर्फ विमान पायलट बल्कि एयर ट्रैफिक
कंट्रोलरों पर भी काम का दबाव कम होगा.
यह भी पता चलेगा कि विमान की गति और देशान्तर क्या है और वह कितनी ऊँचाई पर है.


गगन प्रणाली के मुख्य घटक (Main Component of Gagan )

15 भारतीय निर्देश स्टेशन (आई एस एम एस एस)

2 भारतीय मुख्य नियंत्रण केन्द्र (आई एस.एम सी सी)

3 भारतीय भू-ऊर्ध्वकड़ी स्टेशन (आई एन एल.यू.एस.)

4 नेटवर्क कड़ियाँ (ओ एफ सी. व वी सैट)

3 गगन नीतभारो के साथ डी ई ओ. उपग्रह

गगन प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ Gagan Satellite Main Specification

इसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिक उड्डयन अनुप्रयोगों हेतु उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली की स्थापना और तैनाती करना है.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से इस प्रणाली का विकास किया गया है.
इस प्रणाली को विकसित करने पर लगभग ₹ 774 करोड़ की लागत आई है
इस प्रणाली के सक्रिय होते ही अमरीका, यूरोप और जापान के बाद भारत विश्व का चौथा ऐसा देश हो
गया है जिसके पास उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली (SBAS-Satellite Based Augmentation System) है
गगन प्रणाली पहला ऐसा एसबीएएस है, जो विषुवतीय क्षेत्रों में भी सेवाएँ देगा.
गगन प्रणाली के पूर्ण सक्रिय होने से न केवल भारत, बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, चीन और रूस के बीच भी हवाई यातायात को मदद मिलेगी.
जलपोतों, रेल, सड़क यातायात के अन्य साधनों के संचालन तथा बचाव अभियानों, वायुसेना, सर्वेक्षण, मान-चित्रण, कृषि आदि में भी इस प्रणाली से सहायता मिलेगी.
19 मई, 2015 से इस प्रणाली ने एपीवी प्रमाणित संकेतों का प्रसारण शुरू कर दिया और इसके साथ ही प्रणाली पूर्णतः सक्रिय हो गई.

गगन प्रणाली Gagan satellite के संभावित लाभ

गगन प्रणाली के संभावित लाभ निम्नलिखित हैं-
अब तक भारत में विमान भू-स्थित रडार की सहायता से उड़ान भरते थे, जो सीधी रेखा में नहीं होते थे. गगन
प्रणाली के सक्रिय होने से वायुयान सीधी रेखा मार्ग में उड़ान भरेंगे जिससे वायु-दूरी घटेगी ।

इससे बड़े पैमाने पर ईंधन एवं समय की बचत होगी.
हवा में उड़ान भर रहे विमानों को वायुमार्ग की अद्यतन सूचना तत्काल मिलती रहेगी
यह प्रणाली कोहरे तथा वर्षा में भी वायुयानों को उतरने में मदद करेगी.
मौजूदा समय में एक विमान से 100 मीटर दूर कोई दूसरा वायुयान या अन्य कोई चीज हो तो इतनी दूरी तक
उसे पहचान लिया जाता है. इससे कम दूरी में ऐसा कर पाना संभव नहीं था.
गगन से यह दूरी 100 मीटर से घटकर 7.5 मीटर तक हो जाएगी.
इसरो की गगन प्रणाली रेलवे के परिचालन में भी सहायता करेगी. इस प्रणाली द्वारा उपग्रहों से प्राप्त सूचनाओं को तकनीक एवं उपकरणों द्वारा रेलवे के संबधित विभाग तक पहुँचाया जाएगा जिससे ट्रेन की सटीक स्थिति का पता चल सकेगा तथा मानवरहित रेलवे क्रासिंग संबंधी आपातकालीन सूचना ट्रेन चालक को दी जा सकेगी.
भारत में अब नेवीगेशन सेवाओं के लिए विदेशी उपग्रहों के माध्यम से मिलने वाली सेवा पर निर्भरता खत्म हो जाएगी.

कांच का निर्माण कैसे किया जाता है ?