Akbar History in Hindi अकबर का इतिहास

अकबर (1556-1605) Akbar History in Hindi यह हुमायूँ का सबसे बड़ा पुत्र था तथा 13 वर्ष की अल्पायु में 14 फरवरी, 1556 को गद्दी पर बैठा और उसके शिक्षक बैरम ख़ान को उसका संरक्षक नियुक्त किया गया।

Akbar History in Hindi

पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556)

यह लड़ाई एक हिदू प्रमुख हेमू तथा अकबर के संरक्षक बैरम ख़ान के बीच हुई। इसमें 5 नवंबर, 1556 को हेमू पराजित हुआ, उसे पकड़ा गया तथा बैरम खान द्वारा उसका वध किया गया।

इस युद्ध के साथ ही दिल्ली की गद्दी के लिए मुगलों एवं अफगानों के बीच चल रहा संघर्ष, मुगलों के पक्ष में समाप्त हुआ तथा इस कारण अकबर दिल्ली तथा आगरा का कब्जा पुनः प्राप्त करने में सफल रहा।


अकबर के साम्राज्य का विस्तार

अकबर ने 1560 में 18 वर्ष की आयु में बैरम ख़ान का संरक्षण समाप्त किया तथा राज्य की बागडोर अपने हाथों में ले ली, अपने साम्राज्य का विस्तार करने के प्रयास में उसने बहुत से नगरों तथा किलों

जैसे-ग्वालियर, अजमेर तथा जौनपुर को
जीता तथा मालवा राज्य को भी अपने कब्जे में ले लिया, जिससे वह राजपूत रियासतों के पड़ोस तक पहुँच गया।

मेवाड़ की राजपूत रियासत ने राणा उदय सिंह तथा उसके बेटे राणा प्रताप के नेतृत्व में अपने राज्य का बखूबी बचाव किया। अकबर ने गुजरात (1572-73), बंगाल (1574-76) को जीता तथा 1595 तक वह कश्मीर, सिंध, उड़ीसा, मध्य एशिया तथा कंधार (अफगानिस्तान) जीत चुका था।

अकबर तथा राजपूत अकबर ने जहाँ भी संभव हुआ, राजपूतों को जीतने का प्रयास किया तथा राजपूत राजाओं को मुगल सेनाओं में शामिल किया तथा उनके साथ मुगल सरदारों के समान व्यवहार किया।

1562 में जयपुर के राजा बिहारी मल की बेटी जोधाबाई से विवाह करके अकबर ने हिंदुओं के प्रति अपनी धर्मनिरपेक्ष नीति को प्रदर्शित किया।

मेवाड़ के राणा प्रताप सिंह तथा उसके बेटे अमर सिंह को छोड़कर अधिकांश राजपूत राजाओं ने अकबर की सर्वोच्चता को स्वीकार किया।

हल्दी घाटी का युद्ध

यह युद्ध 1576 में गोगुंदो (हल्दी घाटी) के निकट मेवाड़ के राणा प्रताप सिंह तथा आमेर के राजा मान सिंह के नेतृत्व में मुगल सेना के बीच लड़ा गया। इसमें राणा प्रताप सिंह पराजित हुआ, परंतु उसने समर्पण नहीं किया और संघर्ष जारी रखा।


फतेहपुर सीकरी

यह आगरा के निकट एक स्थान है। ऐसा कहा जाता है कि अकबर का लंबे समय तक कोई पुत्र नहीं था, फतेहपुर सीकरी के सूफी संत शेख सलीम चिश्ती ने अकबर को पुत्र होने का आशीर्वाद दिया,

जिसके फलस्वरूप पुत्र का जन्म हुआ और इस बेटे का नामसलीम (जहाँगीर) रखा गया। शेख सलीम चिश्ती के सम्मान में अकबर, अपना दरबार आगरा से फतेहपुर सीकरी ले आया।


दीन-ए-इलाही

अकबर ने धार्मिक पुरोहितों की कट्टरता तथा रूढ़िवाद के विरुद्ध विद्रोह करते हुए 1581 में एक नए धर्म दीन-ए-इलाही की घोषणा की। यह नया धर्म विभिन्न धर्मों जैसे—हिंदू, इस्लाम, जैन एवं ईसाइयत के मूल्यों को मिलाकर बनाया गया था।

इसमें पैगंबर की कोई मान्यता नहीं थी। इस धर्म को मानने वाले 18 लोगों में से बीरबल एकमात्र हिंदू था परंतु ‘दीन-ए-इलाही’ लोकप्रिय नहीं हो सका।


स्थापत्य कला
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कला तथा साहित्य अकबर ने आगरा, लाहौर तथा इलाहाबाद में तथा दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा बनवाया इसके अलावा फतेहपुर सीकरी बनवाई।

वह कलाओं का संरक्षक था तथा उसके दरबार में अबुल फज़ल, फैज़ी तथा टोडरमल जैसे विद्वान एवं महत्वपूर्ण राजनीतिज्ञ एवं चतुर प्रशासक बीरबल तथा महान संगीतज्ञ जैसे–तानसेन शामिल थे।


महान हिंदी कवि तुलसीदास, जिन्होंने ‘रामचरितमानस’ लिखी, अकबरके समकालीन थे।

सिकंदरा अकबर की मृत्यु होने पर उसे आगरा के निकट, सिकंदरा में दफनाया गया।


अकबर के शासन का महत्व अकबर को भारत मे मुगल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है, क्योंकि बाबर तथा हुमायू,साम्राज्य को वह मज़बूती प्रदान नहीं कर सके जो अकबर ने सफलतापूर्वक की।

अकबर पहला मुस्लिम शासक था जिसने धर्म को राजनीति से अलग रखा। हिंदुओं के प्रति उसका व्यवहार सहिष्णुतापूर्ण था। 🐊♧ Akbar History in Hindi